गोबरज्ञान की घातक कथा

तब बुद्धूतत्वज्ञ ने पार्टी का अध्यक्ष बनाने का निश्चय किया। पार्टी को राष्ट्रीय नीति की मुख्यधारा में लाने के लिए उन्होंने गले में अंतरराष्ट्रीय दंगलसूत्र लटका लिया। तब उन्होंने अपने प्रिय शिष्य गोबरज्ञान को यह घातक कथा सुनाई- ‘क्रंदनवन के घने जंगलों में कई जानवर रहा करते थे। कालांतर में वे जंगलों से जाकर शहरों में बस गए। कई जानवरों ने मनुष्यों का रूप धर लिया फलतः उनमें आपस में सदैव शत्रुता ही रहा करती। गिद्ध, कौए और उल्लुओं की शत्रुता तो बड़ी पुरानी है। इन पंछियों को तो मनुष्यों के रूप में रहने की सिद्धि प्राप्त हो गई थी। लोकतांत्रिक व्यवस्था में नाटक करते हुए जैसे मनुष्य एक सर्वदोष सम्पन्न पुरुष दिखने वाले जीव को अपना अधिपति बनाते हैं; उसी प्रकार हम पंछियों को भी अपना राजा बनाना चाहिए। तब पंछियों ने भी एक सभा की और उल्लू को भारी मत से राजा बनाने का प्रस्ताव रख दिया। लोकतंत्र के दिखावे के लिए वोट देने का नाटक भी रचा गया। राज्याभिषेक के ठीक पूर्व पंछियों ने दो बार घोषणा भी कर दी कि उल्लू ही उनका राजा है। किन्तु अभिषेक के ठीक पूर्व जब वे तीसरी बार घोषणा करने जा रहे थे तो कौए ने काँव-काँव कर उनकी घोषणा का विरोध किया। गिद्ध ने कौए की हां में हां मिलाई और कहा- ‘ऐसे पक्षी को राजा बनाया जा रहा है, जो देखने से ही मूर्ख प्रकृति का है। यह अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों को किस तरह मूर्ख-पागल बना पाएगा? जिसकी एक वक्र दृष्टि से ही लोग गर्म हांडी में रखे तिल की तरह फूटने लगते हैं। वह किस तरह से मित्रता के नाटक की कूटनीति खेल पाएगा?’

कौए व गिद्ध के इस विरोध को उल्लू सहन न कर सका। उसी समय वह उन्हें मारने के लिए झपटा। वह उनके पीछे-पीछे भागने लगा। भागते-भागते वे तीनों बहुत दूर निकल गए। तब गिद्ध ने रुक कर एक हाई लेवल गोपनीय शिखर मीटिंग की। तीनों ने सत्ता के बंटवारे में अपने-अपने अंश निर्धारित किए। कौए को राजा का दायित्व दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह कांव-कांव करके पूरी दुनिया में जबरन कोरोना काल में भी भिखारी बन पैसे ले आता है; इसलिए इसे राजा बनाया जाना उचित होगा। यह राजा रहेगा और सत्ता में हमारी भागीदारी बराबर बनी रहेगी, गिद्ध ने कहा। हम मिलकर आपस में लोकतंत्र का नाटक खेलेंगे। गिद्ध फौज को संभालेगा, ऐसा कहकर उल्लू ने अपने पंख फड़फड़ाए। तब तीनों ने आपस में निर्णय लिया और वे पंछियों की ओर लौट आए। जंगल में फिर से चुनाव होने का नाटक किया गया। अंत में सब पंछियों ने गिद्ध की सहमति से कौए को अपना राजा चुना। जंगल में तूती बजाकर कौए को राजा बना दिया गया। कहानी खत्म करके बुद्धूतत्वज्ञ ने गोबरज्ञान से पूछा- ‘बताओ इसमें कौन गिद्ध, कौन कौआ और कौन उल्लू है। और यह कौनसे देश की कहानी है।’ तब पार्टी के संकल्प पत्र को हवा में उछालते हुए आंखें मींचते हुए पार्टी के झंडे की ओर देखने लग गए।

— रामविलास जांगिड़, 18, उत्तम नगर, घूघरा, अजमेर (305023) राजस्थान