जीवन के पदचाप लिखें…

चलो मृत्यु के लेख मिटाकर,

जीवन के पदचाप लिखें

ठंडी पड़ती सांस-सांस पर,

अपनेपन का माप लिखें।

लिखें कि चलता रहता जीवन,

हां,थोड़ा भटकाव यहां,

कहीं-कहीं पथरीला पर भी,

देता रहता घाव  यहां।

समय गिराता अगर गर्त में,

वही बढ़ाता हाथ यहां,

धूल झाड़कर,झेंप मिटाकर,

पल-पल देता साथ यहां।

हां,यह कुटिल काल का पहिया,

कुचल रहा रिश्ते-नाते,

डरे,छुपे,हो गये बेगाने,

जो मरघट तक संग जाते।

आंखों के बरसाती नाले,

सूख गए, वीरान हुए,

जहां चहकते तोता-मैना,

गांव-गली शमशान हुए।

अंखुआयेगी वहीं जिंदगी,

धरती होगी गोद भरी,

बरसेगा फिर मेघ झमाझम,

पहना चूनर हरी-हरी।

अशोक मिश्र, प्रवक्ता अंग्रेजी

इंटर कालेज प्रताप गंज जौनपुर

उ.प्र।