माँ

माँ तुम मेरे जीवन की

अखंड आराध्य हो

मैं श्रम हूँ तुम्हारा

तुम अखंडित हो

जीवन ज्योत हो

तुम जीवन की

तुम ही मेरी साधना हो

अहर्निश प्रेम की धारा

तुम संपूर्ण समर्पण का भाव हो

तीन पुष्प हम तेरी बगिया के

तुम ही तो जीवन आधार हो

पल्लवित किया जीवन को

तुम ही मेरी जड़ हो 

तुम ही मेरी जड़ हो

तुम ही मेरी जड़ हो

गरिमा राकेश गौत्तम

कोटा,राजस्थान