‘अलादीन: नाम तो सुना होगा’ में अलादीन अपनी प्यारी अम्मी के लिये खतूबा (बिच्छू) के जहर के प्रभाव का इलाज ढूंढने निकला है।
गुलबदन के खिलाफ कुश्ती के मुकाबले के दौरान, अलादीन देखता है कि अम्मी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पा रही है और वह तुरंत ही मैदान छोड़ देता है। जिनी और अलादीन को अम्मी की गर्दन पर खतूबा के काटने का निशान मिलता है। जिनी के हाथ ‘तिलिस्मी’ किताब लगती है। पता लगता है कि मेरून पहाड़ी पर रहने वाले ‘लिम्बी बाबा’ के पास ही अम्मी का इलाज है।
अलादीन और यास्मीन ‘लिम्बी बाबा’ की तलाश में गये हैं।‘’