शहर की जनता को जब जरूरत होती है ,तब नेता कहा चले जाते है ?
शहर में कुत्तों का आतंक है ,गाय शहर के बाहर कर दी गई
जनता को उजाड़ कर विकास किसके लिए ? जिसके तोड़ना थे तोड़े नही
इंदौर ।(राजेन्द्र के.गुप्ता 98270-70242) नेतागीरी करना मतलब जनता की सेवा करना माना जाता था ,राजनीति में लोग आते ही सेवा के लिए थे , पर अब मतलब बदल गए है । सेवा की जगह मेवा मायने रखने लगी है, जनता जाए भाड़ में । अपराधिक और अवैधानिक कारनामों को छुपाने ,बचने के लिए भी राजनीति का सहारा लिया जा रहा है । जिनके दामन पर दाग ही दाग लग जाते है वो सक्षम हो चुके कथित लोग अब या तो सफेद कुर्ता-पायजामा पहन लेते है या मीडिया के क्षेत्र में उतर जाते है । शहर की जनता को जब जरूरत होती है तब नेता पता नही कहा चले जाते है ?
टिकिट पाने के लिए हर हथकंडे अपनाने वाले नेता ,टिकिट बेचने तक का आरोप अपनी ही पार्टी के नेताओं पर लगा देने से बाज नही आते ! वो जनता के लिए इतनी शिदत से सक्रिय क्यों नही होते है ? जब राज टावर तोड़ा जा रहा था तब कांग्रेसी नेता पंकज संघवी ने पुलिस अफसरों को धमकी भरे लहजे में कहा था मुझे शहर की हिफाजत खराब करने में पाँच मिनिट लगेंगे ,सवाल यह उठता है जब शहर की जनता को हिफाजत की जरूरत होती है तब इन नेताओं की औकात कहा चली जाती है ? शहर में कुत्तों का आतंक है ,गायों को शहर के बाहर कर दिया गया है , निगम की गौ-शाला में गायों के हालात कैसे है ,ये किसी से छुपे नही है ? अपनों के जानवर नाम-मात्र पेनल्टी लगा कर छोड़ दिए गए ! वर्षों से परम्परा निभाने वाले शहर के ग्वालों के गायों के बाड़े तोड़ दिए गए है । जनता के घर उजाड़ कर विकास किया जा रहा है ,जबकि मैंने तो सुना था विकास जनता के लिए किया जाता है ,जनता की सुविधा के लिए किया जाता है ,जब जनता ही नही रही ,तो विकास किसके लिए ?…… नदियों के मामले में एनजीटी के आदेशों का पालन अफसर क्यों नही करते है ? इसके लिए आंदोलन क्यों करने पड़ते है ? स्कीम नं.-54 पीयू -4 शहर को ट्राफिक समस्या से निजात दिलाने के लिए बनाई गई ,किंतु इस योजना में महँगे भूखण्ड हथियाने वालों के निर्माण अब तक क्यों नही तोड़े गए ? सयाजी चौराहे पर स्थित भूखण्ड बस टर्मिनल के लिए आरक्षित था ,इसमें से एक हिस्सा पेट्रोल पम्प के लिए दे दिया गया , एसे मामलों में उतनी सख़्ती क्यों नही दिखाते अधिकारी ? …… जबकि विकास के लिए पहले सियागंज और जवाहर मार्ग पर तोड़-फोड़ करना थी …. बियाबानी ,गणेशगंज और मच्छी बाज़ार में विकास के नाम पर कार्यवाही की जा रही थी तब नेता कहा थे ?…..
नाराज जनता ने लगाए थे “ उठावना “ के ऐसे बेनर ,पर नेताओ के कानों पर जूँ तक नही रेंगी थी
शहर में कुत्तों का आतंक है ,गाय शहर के बाहर कर दी गई
जनता को उजाड़ कर विकास किसके लिए ? जिसके तोड़ना थे तोड़े नही
इंदौर ।(राजेन्द्र के.गुप्ता 98270-70242) नेतागीरी करना मतलब जनता की सेवा करना माना जाता था ,राजनीति में लोग आते ही सेवा के लिए थे , पर अब मतलब बदल गए है । सेवा की जगह मेवा मायने रखने लगी है, जनता जाए भाड़ में । अपराधिक और अवैधानिक कारनामों को छुपाने ,बचने के लिए भी राजनीति का सहारा लिया जा रहा है । जिनके दामन पर दाग ही दाग लग जाते है वो सक्षम हो चुके कथित लोग अब या तो सफेद कुर्ता-पायजामा पहन लेते है या मीडिया के क्षेत्र में उतर जाते है । शहर की जनता को जब जरूरत होती है तब नेता पता नही कहा चले जाते है ?
टिकिट पाने के लिए हर हथकंडे अपनाने वाले नेता ,टिकिट बेचने तक का आरोप अपनी ही पार्टी के नेताओं पर लगा देने से बाज नही आते ! वो जनता के लिए इतनी शिदत से सक्रिय क्यों नही होते है ? जब राज टावर तोड़ा जा रहा था तब कांग्रेसी नेता पंकज संघवी ने पुलिस अफसरों को धमकी भरे लहजे में कहा था मुझे शहर की हिफाजत खराब करने में पाँच मिनिट लगेंगे ,सवाल यह उठता है जब शहर की जनता को हिफाजत की जरूरत होती है तब इन नेताओं की औकात कहा चली जाती है ? शहर में कुत्तों का आतंक है ,गायों को शहर के बाहर कर दिया गया है , निगम की गौ-शाला में गायों के हालात कैसे है ,ये किसी से छुपे नही है ? अपनों के जानवर नाम-मात्र पेनल्टी लगा कर छोड़ दिए गए ! वर्षों से परम्परा निभाने वाले शहर के ग्वालों के गायों के बाड़े तोड़ दिए गए है । जनता के घर उजाड़ कर विकास किया जा रहा है ,जबकि मैंने तो सुना था विकास जनता के लिए किया जाता है ,जनता की सुविधा के लिए किया जाता है ,जब जनता ही नही रही ,तो विकास किसके लिए ?…… नदियों के मामले में एनजीटी के आदेशों का पालन अफसर क्यों नही करते है ? इसके लिए आंदोलन क्यों करने पड़ते है ? स्कीम नं.-54 पीयू -4 शहर को ट्राफिक समस्या से निजात दिलाने के लिए बनाई गई ,किंतु इस योजना में महँगे भूखण्ड हथियाने वालों के निर्माण अब तक क्यों नही तोड़े गए ? सयाजी चौराहे पर स्थित भूखण्ड बस टर्मिनल के लिए आरक्षित था ,इसमें से एक हिस्सा पेट्रोल पम्प के लिए दे दिया गया , एसे मामलों में उतनी सख़्ती क्यों नही दिखाते अधिकारी ? …… जबकि विकास के लिए पहले सियागंज और जवाहर मार्ग पर तोड़-फोड़ करना थी …. बियाबानी ,गणेशगंज और मच्छी बाज़ार में विकास के नाम पर कार्यवाही की जा रही थी तब नेता कहा थे ?…..
नाराज जनता ने लगाए थे “ उठावना “ के ऐसे बेनर ,पर नेताओ के कानों पर जूँ तक नही रेंगी थी
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