नई दिल्ली। पाकिस्तान की जेल में जासूसी के झूठे आरोप में 6 साल कैद रहे हामिद ने रिहा होने के बाद अपने मुल्क भारत लौटने के बाद वहां हुए जुल्मोंसितम की जो कहानी रुधें गले से सुनाई उसको सुनकर हर कोई की रूह कांप गई। भारत लौटे सॉफ्टवेयर इंजीनियर हामिद निहाल अंसारी ने पाकिस्तान में अपने साथ हुई निर्दयता के बारे में बताते हुए दर्द साझा किया। हामिद अपने साथ धोखा करने वालों को आज भी माफ करने की बात कहते हैं और सजा देने पर ये जवाब देते हैं कि मैं कौन होता हूं सजा देने वाला? हामिद आज भी उस लड़की (जिसके वह पाकिस्तान गए थे) के लिए यही कहते हैं कि वह जहां भी रहे खुश रहे। उन्होंने अपने वतन लौटने पर भी यही कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ कुछ करना उनका मकसद नहीं था।
एक हिंदी अखबार से बात करते हुए हामिद ने कहा, उस लड़की ने मुझसे कहा था कि मेरे घरवाले मेरी जबरदस्ती शादी करना चाहते है। मैं उसकी मदद करने के लिए वहां गया था। लेकिन वहां पहुंचने पर मुझे पता चला कि मेरे साथ धोखा हुआ है। जिन लोगों ने मुझे रास्ता बताया था उन्होंने ही मुझे फंसाने के लिए जाल बिछाया। जिस वक्त मुझे पाकिस्तान की एक लॉज से गिरफ्तार किया तो मुझे लगा कि मेरे लिए वापस अपने वतन लौट पाना मुश्किल होगा।
हामिद ने बताया कि उसे कैद के दौरान ऐसी जगह रखा गया था जहां से दिन या रात तक का पता नहीं चलता था। हामिद ने कहा, मैं जमीन के 15 फुट नीचे तहखाने में पड़ा रहता था, ना ठीक से खाना दिया जाता था और ना ही कोई अन्य सुविधा मिलती थी। पाकिस्तान के अफसर आते और पूछताछ के लिए ले जाते। सर्दी की वो रात मुझे आज भी याद है। पूरा सप्ताह मुझे बिना सोए, आंखों पर पट्टी बांधकर पैरों पर खड़े रहने को कहा गया, जरा भी हिलता को पिटाई होती। एक सप्ताह बाद मेरी आंखों से पट्टी हटाई गई।
दिन, महीने, साल बीतते गए… दर्द का सिलसिला चलता रहा
हामिद ने बताया कि पूरा सप्ताह ना सोने की वजह से मुझे वहम होने लगा। सामने कुछ होता था मुझे कुछ और दिखाई देता था। दिन, महीने, साल बीतते गए पाकिस्तान के अफसर आते मुझे पीटते रहते, हर एक दिन मेरी लिए मुश्किल भरा रहता। ईद के दिन थोड़ी राहत होती लेकिन अगले दिन फिर से वही सिलसिला चलता रहा।
हामिद ने बताया कि पाकिस्तान के अफसर भी जानते थे कि वो बेगुनाह है। हामिद ने बताया, वे कहते थे कि तुम एक पका-पकाया फल हो, जो हमारे हाथ आ गया है। हमें पता है कि तुमने कोई गुनाह नहीं किया। लेकिन तुम एक हिंदुस्तानी हो। इसी वजह से यहां हो। हामिद ने बताया, छह साल में वहां हर एक दिन, एक-एक पल गुजारना मुश्किल था पर भरोसा था कि मैं एक दिन अपने वतन लौटूंगा। अपनी मां के पास लौटूंगा।
पाकिस्तान में वैध तरीके से जाने के सवाल पर हामिद ने बताया कि उन्होंने पाकिस्तान हाई कमीशन में दस महीने तक आधिकारिक वीजा के लिए आवेदन किया था। लेकिन वो नहीं मिल पा रहा था। इसी दौरान कुछ दोस्तों ने मुझे उकसाया और अफगानिस्तान के रास्ते जाने की सलाह दी। मैं जज्बाती हो गया और जो नहीं करना था वो कर बैठा।
भारत लौटने और अपने परिवार वालों को 6 साल बाद देखने के बारे में बात करते हुए हामिद नम आंखों से कहते हैं। जब मैं अटारी-वाघा बॉर्डर के उस पार पाकिस्तान में था, तब हर बीतते पल के साथ मेरी धड़कनें तेज हो रही थीं। फिर दरवाजा खुला। सीमा के इस पार मुझे मेरी मां, पापा और मेरा भाई दिखे। छह साल बाद उन्हें मैंने देखा। मैं इस मंजर को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। जब सीमा पार कर भारत आया तो सुकून मिला।
विपिन/ईएमएस/ 23 दिसंबर 2018