प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन के खिलाफ सभी विपक्षी दलों के अलावा गुजरात और महाराष्ट्र के हजारों किसानों ने भी मोर्चा खोल दिया हैं. किसान, गुजरात हाईकोर्ट में इस परियोजना के खिलाफ अपनी याचिका लेकर पहुंच गए हैं और एकजुट होकर बुलेट ट्रेन का विरोध कर रहे हैं. लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि किसान पीएम मोदी की इस महत्वकांक्षी योजना के खिलाफ क्यों हैं जबकि प्रधानसेवक खुद इस योजना को देशवासियों के हित, कल्याण और उत्थान की योजना बता चुके हैं. दरअसल मुंबई से अहमदाबाद के बीच 509 किलोमीटर लंबी प्रस्तावित बुलेट ट्रेन योजना का लगभग 110 किलोमीटर का कॉरिडोर मुंबई के पास पालघर से होकर गुजरता हैं. पालघर एक आदिवासी बहुल इलाका है. सरकार अपनी 110 लाख करोड़ रूपए की परियोजना के लिए 1400 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण करना चाहती है जिसके लिए वह 10 हजार करोड़ रूपए खर्च करने की बात कहती है.
भारतीय पंचायत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश यादव कहते है कि, सरकार ने गुजरात के साथ ठाणे और पालघर के किसानों को भी भूमि अधिग्रहण का नोटिस भेजना शुरू कर दिया हैं. लेकिन सवाल ये है कि अहमदाबाद से मुंबई के बीच बुलेट ट्रैन की आखिर जरूरत क्या हैं. भारतीय रेल तंत्र तो सरकार से संभाला नहीं जा रहा है तो बुलेट ट्रेन कैसे संभाली जाएगी! फिर एक बात यह भी है कि बुलेट ट्रेन का किराया ऐसा होने वाला है जो आम आदमी की पहुंच से बाहर होगा और जिसे मोटी रकम खर्च कर इस रुट का सफर करना होगा वो बुलेट ट्रेन से कम खर्च में फ्लाइट से सफर करना पसंद करेगा. रोज हजारों लोग दयनीय स्थिति में पालघर से मुंबई का सफर करते है. जरूरी है कि सरकार पहले से मौजूद रेल व्यवस्था को दुरुस्त करे उसके बाद किसी बुलेट ट्रेन जैसी योजनाओं पर विचार करे।
— नरेश यादव, बीपीपी अध्यक्ष