प्रयागराज में गाजे-बाजे से निकलेगी अखाड़ाें की पेशवाई

प्रयागराज 20 दिसम्बर (वार्ता) विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुम्भ मेले के लिए 25 दिसम्बर से अखाड़ों की पेशवाई धूमधाम से हाथी, घोड़े और पालकी पर निकलेगी जिसको देखने के लिए लोग धैर्यतापूर्वक घंटो कतारबद्ध खड़े रहते हैं।
पेशवाइयों का नगरवासी पुष्पवर्षा से स्वागत करने को कतारबद्ध होकर खड़े दिखाई देते हैं। श्रद्धालुओं में इनके दर्शन की लालसा होती है। माना जाता है कि पेशवाई में भागीदार संतों के दर्शनमात्र से ही गंगा स्नान के बराबर पुण्य प्राप्त हो जाता है।  इसमें सबसे पहले गुरु महाराज अखाड़े के आचार्य संत एवं फिर देवता फिर निशान इसके बाद डंका और फिर महामंडलेश्वर एवं अंत में नागा संन्यासी क्रमवार चलते हैं। इन पेशवाइयों में अस्त्र-शस्त्रों के प्रदर्शन के साथ ही रथ, घोड़े, हाथी भी संतों की सवारी लिए चलते हैं। इस दौरान नागा सन्यासी अपने युद्ध कौशल का पराक्रम भी विभिन्न पकार के करतब दिखाते हुए करते चलते हैं।
प्रयाग में कुंभ मेला से पहले पेशवाई की रंगत देखते ही बनती है। जब रथों पर सवार होकर साधु-संतों की पेशवाई निकलती तो हर कोई उसे निहारता ही रह जाता है। इस दौरान नागा साधू भी करतब से लोगों को विस्मय कर देते हैं। पेशवाई में नागा एवं संन्यासी तथा हजारों भक्त भक्ति के रंग में रंगे हुए रहते हैं। पेशवाई में बैंड-बाजों के साथ मनमोहक झांकियां भी निकाली जाती हैं। हर कोई इस शाही पेशवाई की एक झलक देखने को आतुर नजर आता है।
पेशवाई में अखाड़े की विशाल धर्मध्वजा लेकर साधु-संत चलते हैं। विशाल धर्मध्वजा के साथ दो महात्मा घोड़े पर सवार होते हैं तो एक संत नगाड़ा बजाते हैं। वहीं दूसरे घोड़े पर सवार महात्मा डमरू की ध्वनि बिखेरते हैं। इसके बाद मार्ग में अनेक साधु-संत तलवार, भाला एवं बरछी से करतब दिखाते चलते हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने गुरूवार को बताया कि कुंभ में शाही स्नान और पेशवाई की तारीखें तय कर दी गई हैं। तीन शाही स्नान समेत कुल स्नान होंगे। आगामी 15 जनवरी मकर संक्रांति को पहला शाही स्नान होगा। चार फरवरी मौनी अमावस्या पर दूसरा शाही स्नान और 10 फरवरी बसंत पंचमी के अवसर पर तीसरा शाही स्नान होगा। शेष स्नान पर्व 21 जनवरी पौष पूर्णिमा, 19 फरवरी माघी पूर्णिमा और चार मार्च को कुंभ मेले का अंतिम स्नान महाशिवरात्रि को होगा।
सूत्रों ने बताया कि पेशवाई की शुरूआत 25 दिसम्बर को शैव संन्यासी संप्रदाय के सातों अखाड़े: श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के साथ ही श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा भी रहेगा। सात जनवरी श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा, एक जनवरी को श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी, दो जनवरी श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी, तीन जनवरी श्री पंच अटल अखाड़ा, चार जनवरी को श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती।
बैरागी वैष्णव संप्रदाय के तीनों अखाड़े: अखिल भारतीय श्रीपंच दिगम्बर अनी अखाड़ा , अखिल भारतीय श्री निर्वानी आनी अखाड़ा और अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े की पेशवाई 29 दिसम्बर को निकलेगी।
जूना अखाड़े के सबसे अधिक नागा संतों की फौज की पेशवाई को नगर के प्रमुख स्थानों से शहर में प्रवेश कराकर उनके  अखाड़े की धर्मध्वजा स्थल तक पहुँचाना भी प्रशासन के लिए एक दुष्कर काम होगा।
किन्नर अखाड़ा परिषद के आचार्य महामण्डलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने बताया कि उज्जैन सिंहस्थ कुंभ के बाद 2019 में लगने जा रहे प्रयाग कुंभ में भी किन्नर अखाड़ा अृमत स्नान (शाही स्नान) स्नान करेगा, संगम तट पर शिविर लगाएगा और धूम-धाम से देवत्व यात्रा (पेशवाई) निकालेगा।
उन्होंने बताया, “किन्नर अखाड़ा मेले में किन्नर महापुराण का भी लोकार्पण होगा। लोग हमारे बारे में कटाक्ष करते हैं क्योंकि लोगों को यह नहीं पता कि सनातन धर्म में किन्नरों का क्या वजूद था और इनका कितना महत्व था।”
महामण्लेश्वर ने बताया, “हमने छह जनवरी को देवत्व यात्रा (पेशवाई) निकालने की योजना बनाई है। चूंकि किन्नर अखाड़े का, प्रयाग का यह पहला कुंभ है, इसलिए देवत्व यात्रा कहीं अधिक भव्य होगी। इसके अलावा, यह किन्नर अखाड़े का दूसरा कुंभ है जिसमें देवत्व यात्रा निकाली जाएगी।
श्री त्रिपाठी ने  दु:ख जताया कि जिस समाज को आजादी के सात दशक बाद भारतीय संविधान के तहत अधिकार मिले, उसे अब धार्मिक लड़ाई लडऩी पड़ रही है। आज भी 13 अन्य अखाड़े हमें टेढ़ी निगाह से देखते हैं। हम लोगों के बारे में उनकी ओर से कुछ न कुछ टिप्पणी आती रहती है। यह समाज से बेदखल होने का दर्द न जानने के कारण हो रहा है।
अगले वर्ष 15 जनवरी से शुरू हो रहे देश दुनिया के सबसे बड़े आध्यातमिक और सांसकृतिक समागम कुम्भ मेले में किन्नर अखाड़ा एक अनूठी पहल करने जा रहा है। अखाड़ा अपने परिसर में किन्नर आर्ट विलेज स्थापित करेगा जहां लोग किन्नरों की दुनिया के हर पहलू से वाकिफ हो सकेंगे।
किन्नर आर्ट विलेज के क्यूरेटर पुनीत रेड्डी ने कहा, “किन्नर कला के क्षेत्र में अपनी रुचि को दुनिया के सामने लाने के इरादे से किन्नर आर्ट विलेज का आयोजन करने जा रहे हैं। इसमें राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय किन्नर कलाकार हिस्सा लेंगे। इनमें फोटोग्राफर, पेंटर, वास्तुकला से जुड़े किन्नर, हस्तशिल्प कारीगर आदि शामिल हैं।”
उन्होंने बताया कि यह आर्ट विलेज अपने आप में किन्नरों की दुनिया का एक झरोखा होगा और इसके माध्यम से दुनिया को पता चलेगा कि कला के क्षेत्र में किन्नर क्या योगदान दे रहे हैं। हमारी समय सीमा दिसंबर तक है. आर्ट विलेज में हिस्सा लेने के लिए विभिन्न कंपनियों ने रूचि दिखाई है। फेसबुक, इंस्टाग्राम सहित सोशल मीडिया के विभिन्न साधनों के जरिए इसका प्रचार हो रहा है।
रेड्डी ने बताया कि किन्नर आर्ट विलेज में चित्र प्रदर्शनी, कविता, कला प्रदर्शनी, दृश्य कला, फिल्में, इतिहास, फोटोग्राफी, साहित्य, स्थापत्य कला, नृत्य एवं संगीत आदि का आयोजन किया जाएगा। इसमें आध्यात्मिक ज्ञान और कला के क्षेत्र का भी ज्ञान मिलेगा। इतिहास में रामायण, महाभारत आदि में किन्नरों के महत्व के बारे में भी लोग जान सकेंगे।