मुंह नोचवा संस्कृति का उदय”

  पटवारी लाल ने मुखिया जी को संदेश भेजा हैlमुखिया जी मैं आपके चौपाल में पुनः प्रवचन देने के लिए विद्रोही बाबा के साथआ रहा हूंlकाफी दमखम प्रोपेगेंडा की व्यवस्था करेंगेlविषय है “मुंहनोचवा संस्कृति का उदय” अपने लोकतंत्र में अद्भुत संस्कृति फैल रही हैlउस संस्कृति का प्रचार प्रसार कीआवश्यकता हैl उसी संस्कृति का मैं पोस्टमार्टम कर रहा हूंl मेरा प्रवचन काफी जम रहा हैलोग उसे पसंद भी कर रहे हैंlलेकिन प्रवचन के बीच मुंहनोचवा जमात के लोग बीच में शामिल हो जाते हैंl

उन लोगों को सच से परहेज है और मैं झूठ बोल नहीं सकताl अपने धर्म ग्रंथों में लिखा है कि झूठ बोलना पाप हैlमैं तोभारतीय संस्कृति का ध्वजवाहक हूंlकभी झूठ नहीं बोलता हूंऔर मुंहनोचवा मुझे सच प्रवचन देने से मना करते हैंlबीच में जब मुंहनोचवा लोग

हुड़दंग मचाते हैं तो सच के पक्षधर लोग उन्हें ठीक से ठोक- ठोक कर समझा देते हैंlअब लगता है मुंहनोचवा लोगों की जमात से भारी जमात सच के पक्षधर लोगों का हैl

     गांव घर में काफी प्रचार- प्रसार हुआ है।पटवारी लाल मुद्दत के बाद चौपाल में प्रवचन देने आ रहा हैlसाथ में वह विद्रोही बाबा का झोला ढोते हुए चलता हैl सुबह से लोग मैदान में पहुंच रहे हैं। मैदान खचाखच भर चुका हैl लेकिन पटवारी की आने की प्रतीक्षा लोग कर रहे हैंlवह खड़ाऊ खट-खटाते हुए मैदान में प्रवेश किया तो तालियों की गड़गड़ाहट से मैदान गूंज उठाl पटवारी गजब का रूप बदल लिया हैl देह पर गेरुआ वस्त्र,गोड़(पैर) में खड़ाऊं,हाथ में कमंडल। वह प्रवचन देकर राजनीति के शिखर पर पहुंचना चाहता हैlशायद इसलिए झूठ और सच का कम्पटीशन में उतर गया है।

      गुलाम भारत जब से आजाद भारत हुआऔर देश में लोकतंत्र की स्थापना हुई उसके बाद से बहुत सारे सांस्कृतिक राजनीतिक सामाजिक बदलाव हुए हैं।पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री हुए और तब से लेकर अटल बिहारी बाजपेई तक बदलाव की प्रक्रिया जारी रही हैl लेकिन कहीं से विरोध के स्वर 

 नहीं फुटे। लेकिन न जाने क्यों अब बदलाव होते हैं तो विरोध के स्वर फूट पड़ते हैंlवह इसलिए कि सच को झूठलाया जाता है और झूठ को स्थापित किया जाता हैl पहले ऐसा होते नहीं देखा गया हैl प्रस्थापित को विस्थापित किया जाना लोगों को पचता नहीं है।

      सरकार इस बात को शायद नहीं समझ पा रही है जो लोकतंत्र के लिए सही नहीं हैlयह लोकतंत्र है जनता समय आने पर सही और गलत का फर्क कर सत्ता को समझा देती हैlयही सच है।

                 ……..अरविंद विद्रोही

बिरसानगर जोन–2                           जमशेदपुर-831019

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