व्यंग्य लिखना छोड़िए,  ठंड में पकौड़े तालिए 

अजी ! सुनते हो, जी देवि जी ! बोलिए। दूधवाला आया था सुबह-सुबह धमकी देकर गया…

“हम सब गांधीजी के तीन बंदर है “

भ्रम की क्षितिज पर खड़े ज़िंदगी ढ़ो रहे है। जीनी है गर ज़िंदगी शान से तो…

“प्यार की नींव पर ही ज़िंदगी थमी है”

आजकल एक फैशन चला है, कुछ खास दिवस मनाने का। कुछ तारीखों में बाँट दिए है…

*हम तकनालॉजी के पीछे क्यों नही?*

माइक्रोसॉफ्ट के भारतीय चीफ ने 10 साल की मेहनत से गूगल जैसी कम्पनी और सर्च इंजन…

अब ज़रूर सोचे जनता जनार्दन

        महज दो-चार सौ रुपल्ली के किराए वाले फ़र्श और हज़ार पांच सौ के भाड़े पर माइक।…

काला अक्षर इंसान बराबर…..

कल शाम खुद के साथ समय बीता रहा था, तो मन में ख्याल मुहावरों के आने…

अनिकेत

निर्माण कार्य मे लगे मजदुरो के जीवन को नजदीक से देखा, जब पोलियो की दवाई पिलाने…

बकासुर

बकासुर एक राक्षस है जो किसी के पेट मे रहता, वो सदा भूखा रहता है जो…

!! अंजलि हत्याकांड : सहेली बनी पहेली ?!! 

(नो रोडरेज, नो हिट एंड ट्रायल: प्लांड मर्डर केस)  ———————————————- आखिरकार, वही हुआ जिसका डर था…

“लेट नाइट पार्टियाँ कितनी सुरक्षित”

माना कि ज़िंदगी जश्न है, एक-एक पल को मस्ती से जीना चाहिए। पर मस्ती कहीं ज़िंदगी…