फिर से  रचे जाने लगे षंडयत्र

फिर से रचे जाने लगे षड्यंत्र धर्म के नाम पर… जाति के नाम पर… भाषा के…

अस्त-व्यस्त

ये जो मेज देख रहे हो तुम , भरी अस्त-व्यस्त चीजों से , ज़रा सा इनको…

भ्रम सा अश्वत्थामा अमर है

अश्वत्थामा सदा भ्रम में जिया जब उसके निर्धन पिता द्रोण ने आटे का घोल दिया अश्वत्थामा…

शीलहरण की कहे कथाएँ

महाभारत हो रहा फिर से अविराम। आओ मेरे कृष्णा, आओ मेरे श्याम॥ शकुनि चालें चल रहा…

अपने अपने दुःख………

अपने अपने दुःख….. मेरे भीतर बहती है एक नदी जिसके तटों पर आकर रोज रोती हैं…

मेला

हमारे  देश में रोज त्योहार है रोज मेला है  खासकर  उन बच्चों के लिए  जिनकी आँखों…

मैं स्त्री हूं 

कैद पिंजरे में कोई पंछी नहीं तेरे सिर पर सजी पगड़ी हूं  माथे पर जो लगे…

अनमोल जिंदगी है 

है जिंदगी में प्यार का एहसास कीजिए  जहांँ प्यार नहीं जिंदगी न खार कीजिए  फूलों को…

कोहरा

देखकर मुझे राह में बटोही, तू अपनी मंजिल न बदल। मैं तेरा साथ निभाऊंगा,  तू चल…

धान फटकती स्त्री 

स्त्री सबसे पहले उठती  है , इस धरा पर  और उठकर झाडू  बुहारू करती है  फिर…