वो स्वतंत्र थी तो कैद की गई वो सीधी थी तो सताई गई वो उन्मुक्त थी…
Category: काव्य ग़ज़ल
उम्मीद
**** उम्मीद मैने भी की पर तोड़ दी गयी कभी थामा गया तो कभी छोड़ दी…
अपनो से ही हारता आदमी
मत पूछो.. …? बस जिंदगी जी रहा हैं आदमी हंस भी रहा हैं ..दिन भर सब…
निराश नहीं है वह आदमी
अनाज मंडी में कंधे पर बोरियाँ ढोता बीड़ी के कश से धुआं उड़ाता पसीने से तरबतर…
चौराहे पर जीवन देखा
चौराहे पर जीवन देखा, घुटता-सा हर तन-मन देखा, उन आँखों में जो सपने थे, उनको मरते…
शहरों की नीयत ठीक नहीं,
टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडियों के बीच, नन्हें-नन्हें पैरों के निशान, तोतली बोली में झूमती हवाएं, लहरा लहरा कर…
बनवाँ में बड़ा दुख होई .
(राम द्वारा सीता को समझना) बनवाँ में बड़ा दुख होई, सिया मोर घरहीं में रहिजा हो…
कब आओगे राम .
मैं तेरा पुकारूँ नाम हे स्वामी, कब आओगे राम । काम क्रोध मद लोभ के वश…
शाबाशियाँ
( स्त्री विमर्श ) बालियाँ तेरे हर किरदार को, शाबाशियाँ तेरे अस्तित्व को, शाबाशियाँ बेटी, बहन,बहू,पत्नी,माँ …
हे ! युगदृष्टा
हाड़ -मांस से हीन वह पुतला आज भी ब्रह्मांड की असीम गहराइयों में समाकर आज भी …