फिर से रचे जाने लगे षड्यंत्र धर्म के नाम पर… जाति के नाम पर… भाषा के…
Category: काव्य ग़ज़ल
भ्रम सा अश्वत्थामा अमर है
अश्वत्थामा सदा भ्रम में जिया जब उसके निर्धन पिता द्रोण ने आटे का घोल दिया अश्वत्थामा…
शीलहरण की कहे कथाएँ
महाभारत हो रहा फिर से अविराम। आओ मेरे कृष्णा, आओ मेरे श्याम॥ शकुनि चालें चल रहा…