इस्लामाबाद । आर्थिक रूप से कंगाली के कगार पर पहुंच गए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने देश की जनता को चेतावनी देते हुए कहा कि मौजूदा आर्थिक संकट से निकलने के लिए मुल्क को और बुरे दिन देखने पड़ेंगे। एक दिन पहले ही इस्लामाबाद और आईएमएफ के बीच 6 अरब डॉलर के रुके हुए सहायता पैकेज को पुनर्जीवित करने के लिए एक समझौता हुआ। पाकिस्तान की नई शहबाज सरकार ने आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए कई कड़े फैसले लिए हैं। कुछ दिनों पहले पाकिस्तान सरकार ने पेट्रोल की कीमतों में 30 रुपए प्रति लीटर का इजाफा किया था। पार्टी सांसदों की मीटिंग को संबोधित करते हुए शरीफ ने कहा कि पिछली सरकार के कामों की वजह से आईएमएफ उनकी सरकार पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा, ‘आईएमएफ हम पर समझौते की सभी शर्तों को पूरा करने के लिए अड़ा था। यह एक कठिन दौर था और मैं बताना चाहता हूं कि मुल्क आगे चलकर और कठिन समय का सामना करेगा।’ शहबाज शरीफ ने अर्थव्यवस्था को दिवालियेपन की ओर धकेलने के लिए पूर्व पाक पीएम इमरान खान की आलोचना की।
शरीफ ने कहा, ‘उनकी सरकार ने ईंधन की कीमतों पर टैक्स बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन इसका पालन करने के इनकार कर दिया।’ वैश्विक ऋणदाता अगले महीने पाकिस्तान को लोन देगा। मंगलवार रात को एक स्टाफ-लेवल मीटिंग में दोनों पक्षों के बीच समझौते को अंतिम रूप दिया गया। आईएमएफ के साथ डील से पाकिस्तान को वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक, इस्लामिक देश और दूसरे ऋणदाता संस्थानों से कर्ज लेने में आसानी होगी। एक दिन पहले पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने कहा कि चीनी बैकों ने 2.3 बिलियन डॉलर के कर्ज के लिए एक समझौते पर साइन किए हैं, जो कुछ दिनों में पाकिस्तान को मिल जाएगा। इससे पहले काराकोरम नेशनल मूवमेंट के अध्यक्ष मुमताज नागरी ने आशंका जताई थी कि पाकिस्तान बढ़ते कर्ज का भुगतान करने के लिए गिलगित बाल्टिस्तान को चीन को लीज पर दे सकता है। नागरी के मुताबिक स्थानीय लोग इस बात को लेकर डरे हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘गिलगित बाल्टिस्तान आने वाले समय में वैश्विक शक्तियों के लिए प्रतिस्पर्धा का मैदान बन सकता है।’