गज़ल

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भीड़ थी बाजार में पर यार सारे चुन् लिए,

काम के थे जो वही अधिकार सारे चुन लिए। 

जिंदगी में काम करना है जरूरी बसर को,

चापलूसी से कभी जीना नहीं हम गुन लिए।

सांच  जीवन में उतारो सांच ही पुरजोर है,

देखने को हर खबर अखबार सारे चुन लिए। 

गम अकेले झेल पाएंगे दरो दीवार हम, 

सोचकर हमने सभी साथी सहारे चुन लिए।

जिंदगी की मुफ्लिसी में साथ कोई दे न दे, 

मांगने खुशियां चले लाचार सारे चुन लिए।

भूल बैठे इस जहां में प्यार शायद था मिला, 

नफरतों  की धार में अधिकार सारे घुन लिए।

समझ ‘अलका’ ने लिया आसां मुहब्बत का सफर,

 बेबसी मजबूरियां बेज़ार सारे चुन लिए।

अलका गुप्ता ‘प्रियदर्शिनी’ 

लखनऊ उत्तर प्रदेश।