कुत्ता लड़ाने की मौखिक ऐक्टिंग                             

कुत्ता लड़ने का जिक्र जब आता था हमारा मित्र जहमतलाल मन मसोसकर रह जाता था।काश!मैं भी कुत्ता लड़ाई देखा होता आज मैं इस परिचर्चा में अपना दिमाग करता खर्चा।तो आज मेरे उपर भी होती चर्चा।क्योंकि टांग अड़ाना भिड़ाना भी शुरु से ही उसका शगल रहा है।वैसे अनर्गल बात नहीं करता।तर्क के कसौटी पर खरा उतरे इसको ध्यान में रखकर करता है।मैं उसके बक-बक सुनकर कुत्ता लड़ाई के जिक्र को सुनते,अपना नाक धुनते हुए हल्के गुस्से के उपरांत कहा-‘यार जहमतलाल आदमी हो या पजामा लगता है दिमाग से पैदल हो एकदम निकम्मा!कुत्ता लड़ाई देखना है तो शाम सात बजे टीवी खोलो। क्योंकि वहां न्यूज़ चैनल पर चलते रहता है।

‘यार वह तो डिबेट चलता है कुत्ता लड़ाई थोड़े हैं वह।’

‘यार यह आधुनिक मॉडल का कुत्ता लड़ाई है जिसमें दो तीन आपसे में भिड़ते हैं झांव-झांव करते हैं,लड़ते हैं। चर्चा का तो पता नहीं चलता किस लिए बुलाए गए हैंखेल कहां से शुरू हुआ कहां से लगाए गए हैं।ये तो धीरे धीरे पता चला यहां पर भाड़े पर लाए जाते हैं पैसा देकर लड़ाए जाते हैंऔर जनता को मूर्ख बनाए जाते हैं।इसमें अनेकों तरह के प्रजाति पाए जाते हैं। हां,सभी एक धर्म का नहीं होता इसमें।भिन्न होना जरूरी है,यही तो मजबूरी है।उनको टास्क देकर समझाया जाता है बताया जाता है एक दायरे में रहकर भोंकना है मौका मिलते,नहीं चूकना है।

अब समझ में आया कुत्ता लड़ाने का खेल।आज क्यों चल रही है रेलम पेल।चैनल पर आपस में कुत्ता जैसा लड़ाना एक प्रतिष्ठा का विषय बन गया है।आज जिस चैनल पर यह लड़ाई नहीं होती उसकी उस समाज से रुसवाई व जगहंसाई होने लगती है।

क्योंकि हाल फिलहाल ये लोग पैसा देकर लड़ाने-भीड़ाने का काम करते हैं।इस मीडिया में रहना है तो और कुछ हो न हो अलग-अलग दो तीन को बुलाइए,उसे लड़ाईए।औरविज्ञापन से भरपूर माल कमाइए।जनता ऐसी लड़ाई चाव से देखती है कभी -कभी दाव भी खेलती है।

यदि आपने अब तक कुत्ता लड़ाई नहीं देखी हो तो टीवी चैनल पर कुत्ता लड़ाई चलते रहता है।हालांकि इनका रेट फिक्स है इसमें मारपीट होने का रिस्क नहीं है।क्योंकि पैसा देते वक्त निर्देश दिया जाता है कि मुंह से जितना लड़ना है लड़ सकते हैं।केवल हाथापाई व भिड़ना मना है। इसलिए कुत्ता लड़ाई देखना है गुरू,टीवी ऑन कीजिए और लड़ने का सिलसिला हो जाता शुरू।दूसरे शब्दों में लड़ने का मौखिक एक्टिंग कह सकते हैं  इसमें फाइटिंग नहीं होता है।

                             ……. राजेन्द्र कुमार सिंह

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