नए साल के पँख पर

बीत गया ये साल तो, देकर सुख-दुःख मीत !

क्या पता? क्या है बुना ? नई भोर ने गीत !!

माफ़ करे सब गलतियां, होकर मन के मीत !

मिटे सभी की वेदना, जुड़े प्यार की रीत !!

जो खोया वो सोचकर, होना नहीं उदास !

जब तक साँसे हैं मिली, रख खुशियों की आस !!

खिली-खिली हो जिंदगी, महक उठे अरमान !

आशा है नव साल की, सुखद बने पहचान !!

छँटे कुहासा मौन का, निखरे मन का रूप !

सब रिश्तों में खिल उठे, अपनेपन की धूप !!

दर्द दुखों का अंत हो, विपदाएं हो दूर !

कोई भी न हो कहीं,  रोने को मजबूर !!

छेड़ रही है प्यार की, मीठी-मीठी तान !

नए साल के पँख पर, खुशबू भरे उड़ान !!

           -प्रियंका सौरभ 

रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,

उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)-127045

(मो.) 7015375570 (वार्ता+वाट्स एप)