अपने निर्णयों का उत्पाद होना

अधिक पढ़ने की जरूरत नहीं

मंदिर – मंदिर भटकना नहीं

भगवान वेदव्यास का कहना मानना

निरंतर दूसरों की सेवा करना

इसी को सबसे बड़ा पुण्य मानना

दूसरों को कष्ट कभी नही देना

कष्ट देने से पाप का भागी बनना

कभी किसी को चोट नहीं पहुँचाना

यही है सबसे बड़ी पुण्य – साधना

आत्म-साक्षात्कार का आधार बनना

परिस्थितियों का उत्पाद नहीं बनना

जीवन अपने निर्णयों का उत्पाद होना।।

आनंद मोहन मिश्र

विवेकानंद केंद्र विद्यालय यजाली

लोअर सुबनसिरी जनपद

अरुणाचल प्रदेश

दूरभाष – 9436870174