कुछ लिखूँ
आज,,,,,,नव वर्ष के
आगमन पर
तुम्हारे नाम,,,,,
एक प्रेम पाती
अर्श में
तुम्हारे धाम,,,,,
देख तो रहे होगे
कैसे लिखूँ,,,,,?
हाल-ए-दिल
सूरत-ए-हाल
बेहाल- विह्वल मन
तुम्हारे नाम,,,,,
पढ़ कर तुम
अपनी मन्नू का
दर्द-ए-दिल
उदास मत होना
ख़त का मज़मून
किंचित रूप में
जो होगा
सम्पूर्णतया कहाँ
लिखा जाएगा
वो बरसों के
ज़ख्मों का हिसाब
मवाद का रिसाव
कैसे लिख पाऊँगी
नहीं लिखा जाएगा
इसलिए
बस,,,,,,,,,
तुम लुटा देना
अर्श से ही,,,,बैठे -बैठे
अपने प्रेम-पुष्प
बिखेर देना कुछ
महकती आबो हवाएँ
अपने ही
वजूद से सराबोर
पंखुड़ियां,,,,,
भर लूँगी मुट्ठी में
समेट लूँगी हृदय में
कुछ वक्त के लिए
सजा लूँगी तस्वीर उनकी
अपनी तरसती आंखों में
तुम्हारा अक्स बनाकर,,,,
हो कर गुम तुम्हारी
उन सुरभित फ़िज़ाओं में,,,,
इतना तो हक्क दे दो,,,,
इन झुलसती निगाहों को,,,,,
पा कर वो खत,,,,,जो लिखा मैंने
तुम्हारे नाम,,,,,,!!!
(C) डॉ मंजू वर्मा ( रिटायर्ड प्रोफेसर पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ )