(श्रीराम का विलाप)
मोरे लखन दुलारे बोलत काहे नाहीं ।
आधी रात बीति गयो ,
हनुमत आयो नाहीं ।
बोलत काहे नाहीं ।
मोरे लखन दुलारे………..
मम हित लागि तजेहु पितु माता ,
सहेहु बिपिन हिम आतप बाता ,
उठहु समुझि मन माँहीं ।
बोलत काहे नाहीं ।
मोरे लखन दुलारे………..
जैबो अवध कवन मुँह लेई ,
स्त्री कि खातिर बंधु गँवाई ,
अजस सहब केहि पाहीं ।
बोलत काहे नाहीं ।
मोरे लखन दुलारे………..
सौंपि मातु तोहे मोरे शरन में ,
कहबो का मैया के चरन में ,
उठ कर मोहे बताहीं ।
बोलत काहे नाहीं ।
मोरे लखन दुलारे………..
ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र
आरा, भोजपुर, बिहार
मो.नं. 8210058213