बुत

अजीब मंजर है उस इलाके में

अत्याचार के खिलाफ

बोलते नहीं है जुबान वाले लोग वहां ..

देखते रहते हैं कुछ पत्थर दिल

अस्मत बचाती किसी बेबस को

बचाते नहीं हैं उसे वे लोग वहां……….

जलते नहीं चूल्हे अक्सर

बहुत घरों में उनके लेकिन

जला देते हैं बस्ती कुछ लोग वहां…..

नहीं दिखती है उन्हे

शून्य में ताकती हुई बहुत आंखें

आपस में दुश्मन बन गए हैं लोग वहां….

मर चुकी अपनी आत्मा के साथ

लेकर सिर्फ जिस्म अपने 

घूम रहे हैं संवेदनहीन वे लोग वहां……..

नहीं है उजाले और अंधेरे से 

मतलब उन कुछ लोगों को कोई ‘ सुधीर ‘

इंसान नहीं पत्थर के बुत हैं वे लोग वहां…

— सुधीर केवलिया

” सावित्री – गणेश “

4 – E – 60,

जय नारायण व्यास नगर,

बीकानेर . 334003 (राज)

(M) 9413279217