आओं हिन्दी के अस्तित्व के लिए

ईश्वर से  प्रार्थना करें

आज हिन्दी दिवस है

अपने ही देश में

अपनी ही भाषा का

एक दिन मनाने का

दिवस

सचमुच विचारणीय है

खैर सालों से

लगे है

उसके अस्तित्व के लिए

हर साल महत्व बड़ने की बजाय

सदा ही कम हो रहा है

सचमुच देश के लिए

हम सब के लिए

बेहद शर्मनाक

बात है

थक गए है

हर साल

सालों से

उसके अस्तित्व के लिए

लड़ते लड़ते

हम बुढे हो गये

पर उसका हक

उसकाअधिकार उसे

नहीं दिला पाये

बस ऐसा लगता हैं

अब हम सब मिल कर

उस ईश्वर से

प्रार्थना करे

जिसने तुलसी जैसे

महान  संत हिन्दी भाषा के अद्भुत

कृति दाता को

रामचरित मानस को

जन्म दे

पूरे विश्व में

हिन्दी भाषा की

अद्भुत अद्भुत अविरल

पहचान बनाई

आज फिर कोई

एक नहीं

दो चार

दो चार नहीं

आठ दस

तुलसी को जन्म दे

बहुत ही दयनीय स्थिति में

है हमारी हिन्दी

जहाँ आज कितने लोग

हजारों, लाखों लोग

अच्छे से हिन्दी बोल, लिख

नहीं पा रहे

अब केवल एक ही रास्ता है

ईश्वर की

पूजा, आराधना

और उसे मनाने का

ताकि हमारी हिन्दी भाषा को

बचाया जा सके

जो कभी तुलसी के

अद्भुत साहित्य से

सारे विश्व में जानी जाती थी

है ईश्वर मै

मेरे साथ

मेरे देश के तमाम

हिन्दी प्रेमी

कामना करते हैं

कुछ तुलसी को

जन्म दे

देश मै हिन्दी का

अस्तित्व बचा

हम सभी को

सुख और सुकूंन दे

प्रणाम करते हुए

प्रार्थना करते है

साथ प्रणाम करते हैं

हमारी हिन्दी भाषा को

प्रमाण करते है

उन सभी को

जो आज भी हिन्दी सेवा में

हिन्दी के लिए

लड़ रहे है

अपना सब कुछ

धन, समय, मन

लगा सतत्

सालों से

हिन्दी मेहिन्दी की

आराधना करते

उसे ही अपना

आराध्य मानते हुए

डॉ  रामशंकर चंचल

झाबुआ मध्य प्रदेश