दिग्विजय सिंह के सामने गढ़ बचाने की चुनौती

राजगढ़ में पिछले एक दशक से लगातार जीत रही भाजपा
भोपाल । राजगढ़ में पिछले एक दशक से भाजपा जीत रही है। ऐसे में कांग्रेस ने इस सीट को दोबारा हासिल करने के लिए एक बार फिर दिग्विजय सिंह को आगे किया है। दिग्विजय सिंह 33 साल बाद लोकसभा चुनाव के मैदान में होंगे और आज वे साधारण तरीके से नामांकन भी दाखिल करेंगे। वहीं भाजपा ने पिछले दो चुनावों से लगातार जीत रहे रोडमल नागर को ही तीसरी बार मौका दिया है।
दिग्विजय सिंह के सामने गढ़ बचाने की चुनौती, पिछले एक दशक से लगातार जीत रही भाजपा, ऐसे हैं राजगढ़ के सियासी समीकरणदिग्विजय सिंह के सामने गढ़ बचाने की चुनौती, पिछले एक दशक से लगातार जीत रही भाजपा, ऐसे हैं राजगढ़ के सियासी समीकरण
ऐसे हैं सियासी समीकरण
राजगढ़ लोकसभा सीट पर 30 साल से दिग्विजय सिंह के परिवार का प्रभाव रहा। लेकिन पिछले एक दशक से यहां पर सियासी समकरण बदल गए हैं। 2014 और 2019 में दिग्विजय सिंह ने जिन दो उम्मीदवारों पर हाथ रखा उन्हें हार का मुंअह देखना पड़ा। ऐसे में अपना गढ़ बचाने के लिए दिग्गी खुद मैदान में है। 2014 के चुनाव में नारायण सिंह आमलाबे ने कांग्रेस से लगातार दूसरी बार मैदान पकड़ा, तो भाजपा ने रोडमल नागर को टिकट दिया। नागर ने इस चुनाव में किले के उम्मीदवार को 2 लाख 28 हजार के बड़े अंतर से हराया। इसके बाद 2019 के चुनाव में किले ने मोना सुस्तानी पर भरोसा जताया तो भाजपा ने फिर नागर को मैदान में उतारा था। इस चुनाव में भाजपा और रोडमल नागर और ताकतवर होकर उभरे और किले की नींव पर गहरी चोट पड़ी, क्योंकि नागर ने रिकार्ड चार लाख 31 हजार के बड़े अंतर से करारी शिकस्त दी थी। इस बार 2024 के चुनाव में रोडमल नागर लगातार तीसरी बार मैदान में हैं, वहीं उनके सामने कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
राजगढ़ में हैं दिग्विजय सिंह का प्रभाव
1980 में दिग्विजय सिंह जब कृषि मंत्री बनकर जिले में आए, तभी से लोकसभा क्षेत्र में उनका दखल शुरू हो गया था। 1984 में वे खुद सांसद चुने गए। 1989 का चुनाव प्यारेलाल से हारे, लेकिन 1991 में फिर सांसद चुने गए। वहीं 1994 उपचुनाव, 1996, 1998, 1999 में लक्ष्मण सिंह कांग्रेस से सांसद चुने गए, 2004 में भाजपा से जीते। 2009 में दिग्विजय सिंह के करीबी नारायण सिंह सांसद चुने गए थे। इस तरह दिग्विजय सिंह के प्रभाव का यहां लंबे समय प्रभाव रहा। इसके बाद दो बार से भाजपा का कब्जा है।
विधानसभा में बड़े अंतर से हारे कांग्रेस उम्मीदवार
राजगढ़ संसदीय क्षेत्र में टिकट दिग्विजय सिंह के बिना नहीं होते। ऐसे में 2023 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के उम्मीदवारों को भाजपा उम्मीदवारों के सामने बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस के सिर्फ दो विधायक दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह व सुसनेर से भेरू सिंह बापू ही चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। जबकि छह विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवारों ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की है। चांचौड़ा में उनके अनुज लक्ष्मण सिंह को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा।