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रावटी-मोरवनी-रतलाम मार्गं पर दोपहर 1.43 बजे बंबूल के कंटीले पेड़ की छांव में माचा डालकर सुकुन की गहरी नींद ! ….इस बरसात में हम भी पौधे रोपे ताकि आने वाली पीढ़ियों को ऐसा ही सुख-चैन मिल सके…और प्राकृतिक संतुलन बना रहें !
छाया – ऋतुराज बुड़ावनवाला, खाचरौद (उज्जैन)