38 सालों में भारत की आबादी कई गुना बढ़ेगी, 2062 के बाद आएगी गिरावट

-संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट में बताए आंकड़े, पाकिस्तान भी तीसरे नंबर पर होगा
नई दिल्ली । आज भारत की जनसंख्या करीब 142 करोड़ के करीब है और अनुमान है कि आने वाले 38 सालों में इसमें सबसे ज्यादा बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की जनसंख्या 2062 में अपने चरम पर पहुंच सकती है, जिसका अनुमानित आंकड़ा 1.701 अरब हो सकता है यानी भारत की जनसंख्या आने वाले 38 सालों में अपने शिखर पर पहुंच जाएगी। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है और यह स्थिति सदी के अंत तक ऐसी ही बनी रहने की संभावना है।
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक भारत की जनसंख्या जनवरी और जुलाई 2062 के बीच घटने लगेगी। हालांकि इस साल में, भारत की जनसंख्या में करीब 222,000 लोग जुड़ेंगे। उसके बाद, भारत की जनसंख्या में कमी आना शुरु हो जाएगी। 2063 में, देश की जनसंख्या करीब 115,000 लोगों की कमी होगी। 2064 में यह संख्या बढ़कर 437,000 और 2065 में 793,000 हो जाएगी। वर्तमान में भारत में 1.451 अरब लोग रहते हैं। इसके बाद चीन है, जिसकी जनसंख्या 1.419 अरब है और तीसरे स्थान पर संयुक्त राज्य अमेरिका है, जहां 345 मिलियन लोग रहते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक 2054 तक भारत और चीन अपनी वर्तमान स्थिति बनाए रखेंगे, लेकिन पाकिस्तान 389 मिलियन की आबादी के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका को पीछे छोड़ देगा और दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। यह रैंकिंग 21वीं सदी के अंत तक जारी रहेगी। यूनी ने कहा है कि विश्व की कुल जनसंख्या 2083 में करीब 10.2 अरब पर घटने लगेगी। जनवरी और जुलाई 2083 के बीच, विश्व की जनसंख्या में कमी आने लगेगी। वर्तमान में, वैश्विक जनसंख्या करीब 8.16 अरब है।
रिपोर्ट के मुताबिक 2024 और 2054 के बीच जिन देशों की जनसंख्या में उछाल आएगा उनमें अफ्रीका भी शामिल है। वहीं इसमें नौ देश अंगोला, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, नाइजर और सोमालिया की जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ने की संभावना है। इन देशों की कुल जनसंख्या 2024 और 2054 के बीच दोगुनी हो जाएगी। 2054 तक करीब 100 देशों और क्षेत्रों में कामकाजी उम्र वाले (20 से 64 साल) की जनसंख्या का हिस्सा कुल जनसंख्या से ज्यादा तेजी से बढ़ेगा, जिससे उन्हें जनसांख्यिकीय लाभांश के रूप में एक अवसर मिलेगा। भारत भी ऐसा ही एक देश है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2080 तक 65 साल से ज्यादा उम्र के लोग 18 साल से कम उम्र के लोगों से ज्यादा हो जाएंगे।
रिपोर्ट में यूएन ने कहा है कि जिन देशों की जनसंख्या चरम पर है या पहुंचने वाली है, उन्हें सभी आयु वर्गों में प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए स्वचालन और अन्य प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उन्हें आजीवन सीखने और फिर से प्रशिक्षण के ज्यादा अवसर बनाने चाहिए और उन लोगों के लिए कामकाजी जीवन को बढ़ाने के अवसर देने चाहिए जो काम करना चाहते हैं और कर सकते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि 1990 के मुकाबले अब महिलाएं औसतन एक बच्चा कम पैदा कर रही हैं। आधे से ज्यादा देशों में प्रति महिला औसतन जन्मदर 2.1 से कम है, जो जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने के लिए जरूरी है। दुनिया के करीब एक-पांचवे देशों और क्षेत्रों, जैसे चीन, इटली, कोरिया गणराज्य और स्पेन में अब बहुत कम जन्म दर है, जहां प्रति महिला 1.4 से भी कम बच्चे पैदा हो रहे हैं।