कर्ज, क्राईम और करप्शन की सरकार अपना पेट भरने के लिए किसानों का गला घोट रही है: जीतू पटवारी
किसानों ने बोया धान अधिकारियों ने बताया सोयाबीन, बीज के नाम पर हो रहा है करोड़ों का घोटाला: मुकेश नायक
बोगस बीज, जामफल, नींबू में निकल रही है गेंहू की बाली, सब्जी में मिल रही गेंहू: पारस सकलेचा
भोपाल । प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये कहा कि किसानों को उन्नत बीज के नाम पर घटिया फसल को तीन गुना दाम पर बेचकर हजारों करोड़ रूपयों का भ्रष्टाचार बीज उत्पादक कंपनियों तथा बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा किया जा रहा है, 40 लाख क्विंटल बोगस फसल को उन्नत और संकर बीज का टेग लगाकर किसानों को बेचा गया है और इस खेल में प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ का भ्रष्टाचार सरकार द्वारा किया जा रहा है।
श्री पटवारी ने प्रदेश सरकार से कहा कि देश के किसानों से यदि ऐसे ही झूठ बोलेंगे, तो यह अन्न उपजाने वाले किसानों के साथ आपराधिक अन्याय होगा। सरकार कागजी आंकड़ों के भरोसे झूठे बयान देना बंद करे। उन्होंने कहा कि 15 से 20 वर्ष से बीज प्रमाणीकरण संस्था में जमे अधिकारी बेलगाम हो गये हैं और किसानों का बोगस पंजीकरण दिखाकर उन्नत किस्म के बीज का उत्पादन बताया जा रहा है। पिछले 15 वर्षों से बीज प्रमाणिकरण संस्था बीज उत्पादक, कंपनियों से दूरभी संधि कर कागजों में उन्नत बीज की पैदाइश बताकर सामान्य फसल पर टेग लगाकर बेच रही है।
श्री पटवारी ने कहा कि किसानों का फसल उत्पादन लगातार घट रहा है और प्रति हेक्टेयर में उत्पादकता की निरंतर कमी होती जा रही है। बीज कंपनियों ने प्याज, आलू, चना, मटर से गेहूं का उत्पादन बताकर प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ का भ्रष्टाचार कर रही है। फर्जी बीज की पाठशाला में अमरूद, नींबू से सोयाबीन, गेंहूं, धान को सोयाबीन में बदलने, चारा को गेंहू बताने और रकबे को 10 से 100 गुना अधिक बताने की जालसाजी का बड़ा खेल खेला जा रहा है। पड़ती (बंजर) खाल (गाद) में उन्नत बीज उगाने के नए-नए कारनामें सरकार द्वारा किये जा रहे है। उन्नत बीज के नाम पर गरीब किसानों से प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ की लूट के कारण किसान बेहाल होकर आत्महत्या कर रहे हैं। उन्नत बीज के नाम पर बोगस फसल को बेचने के खेल ने किसानों को बर्बाद कर दिया है।
श्री पटवारी ने कहा कि उन्होंने कहा कि यह राजनैतिक विषय नहीं, किसानों और किसानी का विषय है। इस मुद्दे को राजनीति से ऊपर उठकर जन आंदोलन के रूप में प्रत्येक जिले में उठाया जाएगा, ताकि किसानों को उन्नत किस्म का बीज मिल सके, उनकी आय बढ़े और उनका जीवन स्तर सुधरे।
श्री पटवारी ने कहा कि प्रदेश में कर्ज, क्राइम और करप्शन वाली तीन सी की सरकार चल रही है और किसानों की हालत दिन प्रतिदनि गिरती जा रही है। भाजपा सरकार, उसके मंत्री अपना पेट भरने के लिए किसानों का गला घोटने का काम कर रही हैं। श्री पटवारी ने कहा कि हमारे देश के कृषि मंत्री शिवराज जी संसद में किसानों को लेकर बड़े बड़े भाषण दे रहे है। लेकिन बतौर मुख्यमंत्री आपने ही मध्यप्रदेश के किसानों से वादा किया था कि गेहूं-धान के लिए 2700 और 3100 रूपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाएगा। चुनाव के बाद चली पर्ची में शिवराजसिंह तो मप्र से चले गए, लेकिन उनके साथ साथ मध्यप्रदेश में भाजपा द्वारा प्रदेश के किसानों से किये गये वादे भी चले गए। मप्र के सभी किसानों से किए वादों को पूरा करे सरकार।
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने कहा कि उन्नत बीज के नाम पर किसानों के साथ हो रही ठगी और सरकार द्वारा की जा रही कालाबाजारी को हम विपक्ष की भूमिका में रहकर मूकदर्शक बनकर नहीं देख सकते। प्रदेश में बीज उत्पादक कंपनियां, मध्यप्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था मिलीभगत कर पिछले 15 वर्षों से उन्नत/ संकर किस्म के बीज के उत्पादन के नाम पर हजारों करोड़ का भ्रष्टाचार किया जा रहा है। प्रतिवर्ष सिंचित रकबा में वृद्धि के बाद भी गूंह और सोयाबीन के उत्पादन में निरंतर कमी हो रही है। गेहूं तथा सोयाबीन की उत्पादकता में चिंताजनक कमी आयी है, जिसका परिणाम है कि सोयाबीन उत्पादन में देश में मप्र प्रथम स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। सरकार द्वारा किसानों के साथ किये जा रहे अन्याय और ठगी का कांग्रेस पार्टी किसानों के हित में खेत-खलिहानों से लेकर सदन तक इस मुद्दे को उठायेंगी।
पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने कहा कि पिछले 3 वर्षों में खरीफ और रबी के मौसम मिलकर 31 लाख क्विंटल से 38 लाख क्विंटल उन्नत एवं संकर बीज की जगह बोगस बीज को प्रमाणीकरण कर किसानों के साथ धोख किया जा रहा है। निजी कपंनिया बीज का उत्पादन कर रही हैं। प्रमाणीकरण संस्था से संधि कर किसानों का ऑनलाईन खसरा निकालकर बोगस पंजीकरण कर रही है। आरटीआई के दस्तावेजों की सैंपलिंग में कागजों पर संस्था के अधिकारी प्रथम और अंतिम बोगस निरीक्षण प्रतिवेदन तैयार कर रहे हैं, जिसमें न तो कृषक का फोटो देखा गया है और ना ही हस्ताक्षर मिले हैं। अधिकांश निरीक्षण प्रतिवेदन में कृषक का खेत में फोटो के स्थान पर अन्य स्थानों को फोटो चस्पा दिया जाता है। कृषक खेत के स्थान पर होटल, घर, कार, टेक्टर में नजर आता है।
श्री सकलेचा ने कहा कि बीज खरीदी के बिल बीज उत्पादन में आवेदन, निरीक्षण प्रतिवेदन तथा तोल पत्रक एवं विक्रय बिल पर कृषक के नकली हस्ताक्षर किये जाते हैं। भुगतान के नाम पर कंपनियां बेयरर चेक बनाकर अपने कर्मचारियों को भेजकर पैसे निकाल रही हैं। वर्ष 2020-21 में उज्जैन जिले में अतिवृष्टि से जिन तहसील के कृषकों को फसल नुकसानी पर मुआवजा प्राप्त हो गया था, उन कृषकों के खेत में निरीक्षण प्रतिवेदन बनाकर 100 प्रतिशत बीज का मानक के अनुरूप उत्पादन बता दिया।
श्री सकलेचा ने कहा कि किसानों के मूल रकबे को 10 से 70 गुना ज्यादा बताकर पंजीकरण कर उत्पादन बताया जा रहा है। किसानों ने खेत में प्याज, लहसुन, मटर, चना, आलू की फसल लगाई लेकिन सर्वें के आधार पर गेंहूं का उत्पादन बताकर बीज प्रमाणीकरण कर दिया गया।
श्री सकलेचा ने कहा कि अशोकनगर में 30 से अधिक प्रकरणों में धान के खेत में सोयाबीन का उत्पादन बता दिया गया, बड़नगर में अमरूद और नींबू के बगीचे में गेहूं और सोयाबीन का उत्पादन बताया गया। एक ही मौसम में दो-दो कंपनियों का पंजीकरण कर दिया गया। चारे के खेत में गेहूं का उत्पादन बताया गया। बंजर जमीन पर गेहूं का उत्पादन बताया गया। उज्जैन के घटिया, बड़नगर, घटिया, सारोला आदि गांवों में खेत में पानी भरा होने के बावजूद गेहूं और सोयाबीन का उत्पादन दिखाया गया।
श्री सकलेचा ने कहा कि पूरे प्रदेश में बीज प्रमाणीकरण संस्था और निजी बीज उत्पादक, कंपनियों ने मिलकर उन्नत व संकर किस्म के बीज का बोगस उत्पादन बता कर लाखों क्विंटल निम्न गुणवत्ता का बीज बेचकर हजारों करोड़ों का भ्रष्टाचार किया गया, सिंचित क्षेत्र के बाद भी फसल उत्पादन में निरंतर गिरावट हो रही है। एक्टिविस्ट महेश पांडे ने घोटाले को लेकर 16 अक्टूबर 2023 को आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में शिकायत की है, जिसपर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।
पत्रकार वार्ता में पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, विधायकद्वय सिद्वार्थ कुशवाहा और नितेन्द्र सिंह राठौर भी उपस्थित थे।