शिवसेना और मनसे का गठबंधन वेट एंड वाच मोड पर

क्या बिहार चुनाव के बाद ठाकरे बंधु लेंगे फैसला ?
मुंबई । बीते 5 जुलाई को, लगभग 20 साल बाद, राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक विजय रैली के लिए मंच पर एक साथ आए। ऐसी चर्चा थी कि शिवसेना और मनसे एक साथ आएंगे और ठाकरे बंधुओं का गठबंधन होगा। यह भी चर्चा थी कि ठाकरे बंधु एक साथ महानगरपालिका चुनाव लड़ेंगे। अब इस चर्चा में एक बड़ा मोड़ आ गया है। राज और उद्धव ठाकरे के बीच गठबंधन को लेकर जो सबसे बड़ी खबर सामने आई है इसने महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से हलचल मचा दी है। दरअसल
ठाकरे बंधु मराठी भाषा के मुद्दे पर एक साथ आए। क्या महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के राज ठाकरे और शिवसेना (ठाकरे) के उद्धव ठाकरे राजनीतिक गठबंधन करेंगे? यह सवाल पूरे महाराष्ट्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि, अब इस संबंध में जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक ठाकरे बंधुओं का राजनीतिक गठबंधन को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। विश्वसनीय जानकारी के अनुसार, राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने मराठी के मुद्दे पर साथ आने का फैसला किया था। लेकिन मनसे सूत्रों ने कहा है कि राजनीतिक गठबंधन पर कोई फैसला नहीं हुआ है। यह कहकर कि अभी तक कोई राजनीतिक गठबंधन नहीं हुआ है, मनसे ने शिवसेना सदस्यों की बेचैनी बढ़ा दी है। हालांकि, उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे ने कहा है कि हम वही करेंगे जो महाराष्ट्र के हित में होगा। जबकि उद्धव ठाकरे ने मनसे के रुख पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि राज ठाकरे ने निर्देश दिया है कि प्रवक्ता कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। आइए देखें कि महानगरपालिका चुनावों की घोषणा के बाद शिवसेना-मनसे गठबंधन होता है या नहीं? उद्धव ठाकरे ने भी प्रतीक्षा करने का रुख अपनाया है। यानि यह साफ नजर आ रहा है कि शिवसेना और मनसे का गठबंधन फ़िलहाल वेट एंड वाच मोड पर है।

  • क्या बिहार चुनाव के बाद ठाकरे बंधु लेंगे फैसला ?
    सूत्रों की मानें तो बिहार विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में शिवसेना और मनसे के गठबंधन को लेकर कोई सकारात्मक फैसला लिया जा सकता है। इसके पीछे की रणनीति उत्तरभारतीय वोट बैंक मानी जा रही है। दरअसल मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे लगातार मुंबई/महाराष्ट्र में उत्तरभारतीयों का विरोध करते आ रहे हैं और हाल ही में हिंदी के मुद्दे पर उनका आक्रामक रुख रहा है।