जिन्हें गलत समझा जाता है ,वो अधिक ख़ुश कैसे है?
कुंठा ही बलात्कार और अवैधानिक संबंधों की जड़ है।
जैसे जैसे आप इस रजनीशी लेख को पढ़ेंगे आपको कई बार आश्चर्यजनक सत्य का अहसास होगा। कहते है धरती पर लिंग की पूजा होती है। मानव ,कीड़े-मकोड़े ,पशु-पक्षी, जानवर सहित हर जीव का जीवन ही सेक्स से है। फिर भी हमारे देश सहित एशियाई देशों में इस विषय पर बात नही कर लोग अपने आप को शरीफ बताने की कोशिश करते है! कुछ देशों में इसे भोग कर दिमाग काम (वर्क) में लगाया जाता है और कुछ देशों में इसे दिमाग में रखा जाता है। यही कुंठा और बलात्कार जैसी घटनाओं का कारण बनता है। कई ऐसे मुस्लिम व अन्य देश भी है जहाँ लोग इसको भोगने और जीने के लिए जाते है, वहा हर देश का टेस्ट उपलब्ध है। सेक्स को जीना और भोगना सब चाहते है। किसी की अदाए, किसी की टाँगे,किसी की बाड़ी, किसी की बैठक, तो किसी की चाल देख कर देखने वाले के बदन में सुरसुरी दौड़ जाती है। वही सुडोल शरीर देख कर देखने वाली के रोए खड़े हो जाते हो तो इसे प्राकृतिक प्रतिक्रिया ही कहेंगे। पर इन सब को दबा कर, आँखों में ऊतर आए सेक्स को छुपा कर लोग शराफत का ऐसा चोला ओढ़ते है जैसे वो नपुंसक की श्रेणी में आते हो! अपनो के साथ मन के भाव को मर्यादित तरीक़े से प्रकट कर देने से मन में हीनता और कुंठा घर नही करती है या अपने साथी के साथ मन माफ़िक सुख भोग लेने से भी दिमाग से इसे निकाला जा सकता है। साथी का असहयोग (शरीफ बने रहना) भी कुंठा का कारण हो सकता है। वर्ना कई शरीफो पर बलात्कार ,छेड़छाड़ और बुरी नज़र से देखने के आरोप लगे है….। भोगने की चाह रखते हुए और भोग कर शरीफ बन जाने का चलन भी ख़ूब है। खैर जीवन जीने के लिए है और ख़ूब जीना चाहिए। अखबार ,होर्डिंग ,टीवी ,मोबाईल हर कही नग्नता परोसी जा रही है, नग्न विज्ञापन और फ़िल्मी फ़ोटो प्रकाशित करने वाले अपनी ज़िम्मेदारी से बच रहे है ।
अब हम बात करे समलैंगिकता की –
कई फ़िल्मी हस्तियाँ, उधोगपति, राजकुमार (शाही परिवार का वारिस) और कई सम्पन्न परिवार की महिला-पुरुष सामने आए है जो अपने आपको समलैंगिक बताते है। अब सवाल यह उठता क्या इन्हें किसी चीज की कमी है या इन्हें अपोज़िट सेक्स का साथी नही मिला? पर ऐसा कुछ नही हुआ, बस ये ख़ुश है। समलैंगिकता क्या है इसे समझना होगा। दुनिया में बहुत कम ऐसे शादीशुदा जोड़े (कपल) होगे जिन्होंने इस भोग को नही भोगा होगा या भोगना नही चाहा होगा। मुँह और जीभ की महत्वपूर्ण भूमिका को कौन नकारेगा ? समलैंगिकता के मामले मे नजरिया बदल जाता है, पर इन्हें आपस में ख़ुश देख कर शादीशुदा दुखी जौड़े भी कारण खोजते होगे? ये कैसा आश्चर्य है जिसे गलत माना जाता है वो जोड़े सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद कितने ख़ुश हो रहे है और जो बने-ठने घूमते है उन पति-पत्नी के विवाद रोज अखबारों में छपते है! मन में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है, क्या जिन्हें गलत समझा जाता है वो अपने साथियों की भावनाओं को ज़्यादा अच्छे से समझते है? अन्यथा वो आपस में इतने ख़ुश कैसे रहते है? खैर अब भारत सहित 126 देश ऐसे हो गए है जहाँ लोग समलैंगिकता के मामले में खुल कर सामने आ रहे है। इंदौर में भी समलैंगिक संबंध बनाने-रखने वाले और इसका समर्थन करने वाले महिला-पुरुष खुल कर पलासिया चौराहा स्थित सेल्फ़ी पाईंट पर एकत्रित हुए। ऐसे कई प्रकरण सामने आए है जिसमें ट्रांजेंडर के साथ शादी करने या रहने का ख़ुलासा हुआ है, ये क्या है? क्या ये भी इसी श्रेणी में नही आता? मुझे पता है मेरे इस रजनीशी लेख को हर कोई पढ़ेगा और अपने उन तक पहुँचाएगा जिससे वो सेक्स सम्बंधि बातें शेयर करते है, पर खुल कर समर्थन करने या लाईक करने में हिचकिचाएगे, कारण वही शरीफ होने का चोला जो ओड़ रखा है! करते सब है, करना सब चाहते है पर….
मुझे लगता है कुंठा और कुंठित मानसिकता ही बढ़ते बलात्कार या अवैधानिक संबंधों का सबसे बड़ा कारण है क्योंकि लोग आपस में शरीफ बन, मन की बात बोल कर दिमाग को हल्का नही करते है या जो मन में पाप रखते है वो शरीफ बनते है? क्योंकि शरीफ होना और बनने मे बड़ा फर्क है। वास्तविक जीवन कौन जी पा रहा है? आप क्या कहते है? अपनों से चर्चा ज़रूर करे….. जागरूकता लाए, एक दूसरे की कमी निकालने की बजाए साथ को एंजॉय करे, आपस में ख़ुश रहे, सबके अपने अलग-अलग शौक होते है…… ये ज़रूरी नही की आपको किसी का शौक पसंद नही है तो सबको आपका शौक पसंद होगा…..