सप्तदिवसीय भागवत कथा
सिहोरा (ईएमएस)। किसी भी व्यक्ति पर उपकार कर उसकी मदद करने वाले भगवान को सबसे अधिक प्रिय रहते है। उक्ताशय के उद्गार ज्वालामुखी आदित्य भवन चंदादेवी नारायण प्रसाद उ.मा. विद्यालय मे चल रही सप्तदिवसीय भगवत कथा में परमपूज्य पं. बाला प्रसाद त्रिपाठी जी ने नृसिंह अवतार, प्रहलाद चरित्र,जड़भरत कथा की मीमांसा करते हुए व्यक्त किए। त्रिपाठी जी ने व्यास पीठ से आगे कहा जड़भरत ब्रम्हज्ञानी और माता के भक्त ने जब राजा जड़भरत की बलि देने माता के सामने पहुंचे तो माता ने राजा का शीष काट दिया और जड़भरत के निवेदन करने पर उनकों पुन: जीवित कर दिया अर्थात किसी के प्रति गलत भावना खुद के लिये घातक होती है आगे कहा कि संगति करने से दोष और सतसंग करने से अच्छे गुण आते हैं। मन,वचन, कर्म से पाप करने वाला व्यक्ति अगर उसका प्रायश्चित न करे तो नर्क तथा हमेशा भगवान का गुणगान करने वाला स्वर्ग में जाता है। भक्ति ज्ञान के बिना अधूरी है जो भक्ति मार्ग पर चल पड़ता है उसे ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। कथा के पूर्व महेन्द्र कुमार शर्मा, क्षमा शर्मा, मेखला शर्मा, मयूखी शर्मा आदि ने व्यास पीठ का पूजन किया।