:: रामस्नेही संप्रदाय के जगदगुरू की निकली पधरावणी यात्रा – नौ दिवसीय सत्संग का शुभारंभ ::
इन्दौर (ईएमएस)। भक्ति मनुष्य का स्वभाव है। श्रवण भक्ति, नवधा भक्ति की नींव है। भक्ति ऐसा गुण है जो अयोग्य को योग्य, अपात्र को पात्र, रंक को राजा और अविज्ञ को विज्ञ बना देता है। सत्ता, सम्पत्ति, शक्ति और सौंदर्य के पीछे दौड़ने वाले का दूसरा नाम संसार है, लेकिन इन सभी के साथ जिनके पीछे सिद्धि दौड़े, उनका नाम संत-महात्मा है। वेद-पुराण और शास्त्रों की बात सुनकर जीव में जो बदलाव आते हैं, वे जीवन की गति और दिशा संवार देते हैं।
ये प्रेरक विचार हैं अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज के, जो उन्होंने आज सुबह छत्रीबाग रामद्वारा पर संप्रदाय के मूलाचार्य स्वामी रामचरणजी महाराज के त्रिशताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित नौ दिवसीय भक्ति सत्संग के शुभारंभ सत्र में व्यक्त किए। इसके पूर्व आचार्यश्री की पधरावणी यात्रा छत्रीबाग स्थित शंकर मंदिर से लाव-लश्कर, लवाजमे, बैंड-बाजों तथा चवर-छत्र सहित प्रारंभ हुई। जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ती गई, समूचा मार्ग फूलों से पट गया। आधा किमी की दूरी तय करने में इस यात्रा को दो घंटे से अधिक का वक्त लग गया। यात्रा के पीछे मार्ग की सफाई के प्रबंध भी किए गए थे मार्ग में राजपूत समाज, जांगड़ा पोरवाल समाज, स्वर्णकार समाज, माहेश्वरी समाज सहित विभिन्न संगठनों की ओर से मंच लगाकर महाराजश्री का गरिमापूर्ण स्वागत किया गया। पधरावणी जुलूस में बड़ी संख्या में महिलाएं, पुरूष और युवा भी भजनों पर नाचते-गाते हुए चल रहे थे। बाडमेर से आए संत रामस्वरूप, आलोट से आए संत हरसुखराम, मालपुरा डिग्गी के संत नवनीतराम, देवास के संत रामनारायण, गोराकुंड रामद्वारा के संत अमृतराम, खाचरोद के संत अनुरागराम, छावनी रामद्वारा के संत रामस्वरूप रामस्नेही तथा संत बोलताराम सहित अनेक संत भी आचार्यश्री के साथ शामिल हुए। पूरे मार्ग में पधारावणी स्वरूप भक्तों ने लाल कारपेट (पगमंडे) बिछाकर अपनी श्रद्धा और खुशियां व्यक्त की। छत्रीबाग रामद्वारा पहंुचने पर ट्रस्ट की ओर से रामसहाय विजयवर्गीय, सुरेश काकाणी, वासुदेव सोलंकी, रामकृष्ण पोरवाल, श्याम भूतड़ा आदि ने आचार्यश्री की अगवानी की।
सत्संग शुभारंभ के पूर्व आचार्यश्री ने मूलाचार्य रामचरण महाराज के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन कर सत्संग का शुभारंभ किया। संयोगवश आज रामद्वारा के प्रथम मुनि शिवरामदास महाराज का 128वां निर्वाण दिवस भी था, उनके जीवन चरित्र पर भी आचार्यश्री ने प्रकाश डाला। प्रारंभ में संत रामस्वरूप बेगूवाले ने वाणीजी का पाठ किया। संत अमृतराम रामस्नेही एवं बाडमेर के संत रामस्वरूप ने भी अपने प्रवचन में स्वामी रामचरण महाराज के त्रिशताब्दी महोत्सव के कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए बताया कि संत-महापुरूषों के सदकर्मों की सुगंध कभी नष्ट नहीं होती।
:: प्रतिदिन नवधा भक्ति पर होंगे प्रवचन ::
ट्रस्ट के रामसहाय विजयवर्गीय ने बताया कि आचार्यश्री 9 दिसंबर तक प्रतिदिन प्रातः 8.30 से 9.45 बजे तक नवधा भक्ति पर अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे। इसके पूर्व सुबह 7.30 बजे से वाणीजी का पाठ एवं 8 बजे से भजन होंगे। प्रतिदिन सूर्यास्त के समय भी संध्या आरती होगी। आचार्यश्री इस दौरान शहर के धार्मिक-सामाजिक संगठनों का मार्गदर्शन कर मूलाचार्य रामचरणजी महाराज के त्रिशताब्दी महोत्सव में भागीदारी का आमंत्रण भी देंगे।