नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को अमेरिका की कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन को किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। कंपनी ने केंद्र की तरफ से मंजूर उस फार्मूले को चुनौती दी थी, जिसमें घटिया हिप इंप्लांट के शिकार हुए मरीजों को मुआवजा देने की बात कही गई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि यह याचिका न तो महत्वपूर्ण है और न ही आपात। न्यायधीश विभु बाखरू की पीठ ने कहा कि कुछ मामले महत्वपूर्ण होते हैं और कुछ आपात। दुर्भाग्यवश, यह मामला इन दोनों ही श्रेणियों में नहीं आता। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि इस मसले पर आदेश देना उचित नहीं है क्योंकि मुआवजा देने से जुड़ा मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
– कंपनी ने क्या कहा
जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि उसे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस मामले में कोई नोटिस नहीं मिला है और वह शीर्ष अदालत के किसी भी आदेश से अवगत नहीं है।
– रोक लगाने की मांग
कंपनी ने अपनी याचिका में मरीजों को मुआवजे के बारे में जानकारी देने वाली केन्द्र सरकार *की प्रेस विज्ञप्तियों पर रोक लगाने की मांग की थी।
– मुआवजे के लिए लोग आ रहे
जॉनसन एंड जॉनसन ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रेस विज्ञप्तियों की वजह से लोग मुआवजे के लिए उनके पास आ रहे हैं। उसका कहना है कि सरकार ने बिना किसी कानूनी आधार के यह एलान किया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि जॉनसन एंड जॉनसन ने गलती से 4 हजार 525 भारतीय मरीजों को जानलेवा हिप इंप्लांट्स लगाए हैं।
संदीप/देवेन्द्र/ईएमएम/13/दिसम्बर/2018/