वंदे भारत एक्सप्रेस ने पूरे किए एक लाख किलोमीटर

नयी दिल्ली, 18 मई (वार्ता) भारतीय रेल की स्वदेशी तकनीक से विकसित सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस ने 90 दिनों में एक लाख किलोमीटर के सफर का आंकड़ा पार कर लिया है और इस तरह से इस क्षेत्र में अपनी तकनीकी श्रेष्ठता साबित कर दी है।

रेलवे बोर्ड के एक आला अधिकारी ने बताया कि गत 15 मई को वंदे भारत एक्सप्रेस ने एक लाख किलोमीटर का आंकड़ा पार किया। बुधवार 15 मई को 64वें फेरे में इस गाड़ी ने एक लाख किलोमीटर का सफर पूरा किया। अधिकारी के मुताबिक यह भारतीय रेल की तकनीकी श्रेष्ठता का प्रतीक और देश की गौरवपूर्ण उपलब्धि है।

आजाद भारत के इस पहले स्वदेशी ट्रेन सेट को नयी दिल्ली और वाराणसी के बीच चलाया जा रहा है। यह गाड़ी सप्ताह में सोमवार एवं गुरुवार को छोड़कर पांच दिन चलती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल 15 फरवरी को इसका शुभारंभ किया था और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने नयी दिल्ली से वाराणसी तक यात्रा की थी। ट्रेन का वाणिज्यिक परिचालन 17 फरवरी से शुरू हुआ था। 16 कोच वाली इस ट्रेन में एग्जीक्यूटिव श्रेणी के दो कोच हैं जिनमें 52-52 यात्री बैठ सकते हैं। जबकि हर चेयरकार में 78 सीटें हैं।

अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को 65 फेरों की कुल यात्रा में यह ट्रेन नियत समय पर चली और अक्सर अपने गंतव्य पर समय से पहले ही पहुंची। गाड़ी ने सर्दी गर्मी हर मौसम में भारतीय रेल की पुरानी पटरियों पर नई सदी के परिवहन की तकनीकी दक्षता साबित की है। उन्होंने बताया कि चेन्नई के इंटीग्रल कोच कारखाने में वंदे भारत एक्सप्रेस का दूसरा सेट तैयार हो गया है और इसी माह उसे दिल्ली लाया जा रहा है। नई सरकार के बनने पर उसे नये मार्ग पर चलाया जायेगा।

अधिकारी के मुताबिक पहले सेट में यात्रियों के फीडबैक के आधार पर नये सेट में कई बदलाव किये गये हैं। पैन्ट्री के लिए अतिरिक्त जगह बनाई गई है। वायरिंग को सुदृढ़ किया गया है। चेयरकार में सीटों को अधिक आरामदेह बनाया गया है। पथराव की घटनाओं को देखते हुए खिड़कियों के शीशे पर विशेष कोटिंग की गयी है।

भारतीय रेल के इंजीनियरों ने डेढ़ साल के रिकार्ड समय में दुनिया का सबसे सस्ता ट्रेन सेट ‘ट्रेन 18’ तैयार किया है। यह गाड़ी 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है। जबकि इसका 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर सफल परीक्षण किया गया है। भारतीय रेलवे की योजना है कि ऐसे सौ और ट्रेन सेट बनाए जायेंगे और 30 नये ट्रेन सेट बनाने के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू भी हो गई है।

ट्रेन-18 के नाम से जानी जाने वाली ट्रेन मात्र 97 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की गई है। अधिकारियों के मुताबिक तमाम आधुनिक सुविधाओं से लैस ऐसी ट्रेन विदेशों से आयात करने 200 करोड़ खर्च करने पड़ते। भारतीय रेल अब इस ट्रेन को वैश्विक बाजार में भी पेश करने की तैयारी कर रही है। अधिकारियों का दावा है कि इतने सस्ते ट्रेन सेट चीन भी नहीं बनाता है। यही कारण है कि वंदे भारत एक्सप्रेस को देखने और समझने के लिए चीन और जापान सहित अनेक देशों के अधिकारियों के आने का सिलसिला जारी है।

वाई-फाई, एलईडी टीवी स्क्रीन एवं 180 डिग्री घुमने वाली चेयर, आधुनिक शौचालयों से युक्त इस ट्रेन की प्रत्येक बोगी इंजन की तर्ज पर कई फीचर्स से लैस हैं। यही वजह है कि इसे रफ्तार पकड़ने और शीघ्र रोकने में चंद सेकेंड ही लगते हैं। आपात स्थित में ट्रेन रोकने के लिए हर बोगी में जंजीर की जगह खास तरह के स्विच लगे हैं, जिसे दबाकर रह यात्री ट्रेन चालक से बातचीत कर सकता है तथा आवश्यकता पड़ने पर कुछ सेकेंड के भीतर ही चालक गाड़ी को रोक सकता है। यात्री बोगी में लगी एलईडी स्क्रीन के साथ-साथ वाई-फाई के जरिये उन्हीं मनोरंजक कार्यक्रमों का आनंद अपने एंड्रॉयड मोबाइल फोन पर ले सकेंगे। आने वाले रेलवे स्टेशनों और गाड़ी के खुलने एवं रुकने की जानकारी भी समय-समय पर यात्रियों देने की आधुनिक व्यवस्था की गई है। दिव्यांगों के लिए खास व्यवस्था की गई है।

उन्होंने बताया कि आने वाले समय में ‘स्लीपर’ यानी विश्राम करने वाली सीटें भी उपब्ध होंगी। इसके लिए काम चल रहा है। ये ट्रेन आने वाले समय में धीरे-धीरे शताब्दी और राजधानी ट्रेनों का स्थान ले सकती है।