यूपी में प्रियंका गांधी वाड्रा, जनता के मुद्दों पर आवाज उठाकर लोगों में पार्टी के प्रति एक नया विश्वास पैदा किया

संभल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने जनता के मुद्दों पर आवाज उठाकर लोगों में पार्टी के प्रति एक नया विश्वास पैदा किया है। सिंह ने कहा कि प्रियंका गांधी वाड्रा ने जिस तरह यूपी में जनता के मुद्दों को लेकर खुद आगे आकर संघर्ष किया है,इससे जनता में कांग्रेस के प्रति एक नया भरोसा पैदा हुआ है, चाहे लखीमपुर खीरी का मामला हो, हाथरस, आगरा का मामला हो, किसान, मजदूर या व्यापारियों का मसला हो,प्रियंका ने अन्य दलों के नेताओं से कहीं आगे बढ़कर संघर्ष कर यूपी में एक नई टीम खड़ी कर दी है।
उन्होंने कहा कि पहले जहां कोई कांग्रेस के बारे में बात नहीं करता था, वहीं अब लोग कांग्रेस के बारे में बात करते हैं, यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती द्वारा कांग्रेस को उसके चुनावी वादों को लेकर घेरने के सवाल पर सिंह ने कहा मायावती का जन्म भी नहीं हुआ होगा तब से कांग्रेस पार्टी दलितों की सेवा कर रही है।महात्मा गांधी ने 1920 के दशक में छुआछूत के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था और कांग्रेस का कार्यक्रम तब से लेकर आजादी तक और उसके बाद बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के साथ संविधान में भी इसका जो आह्वान किया गया वह कांग्रेस की ही देन थी।मायावती शायद वहां इतिहास नहीं जानतीं। सरहद पर चीन की बढ़ती घुसपैठ के बारे में सिंह ने कहा,बड़े आश्चर्य की बात है कि अरुणाचल प्रदेश से भाजपा के सांसद ने खुद कहा है कि चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर लिया है इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मसले पर चुप्पी साधे हैं।’’
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के पाकिस्तानी राष्ट्रपिता मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में हाल में की गई टिप्पणी पर सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी अपनी पाकिस्तान यात्रा पर जिन्ना की मजार पर चादर चढ़ा चुके हैं, जिन्ना पूरी तरह से सांप्रदायिक नेता थे, जिन्होंने अंग्रेजों को भारत का बंटवारा करने के लिए तैयार किया था। भाजपा द्वारा उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर फिर से हिंदू कार्ड खेलने के सवाल पर सिंह ने कहा,‘‘ भाजपा के पास इसके सिवा और कोई मुद्दा ही नहीं है। भाजपा का धर्म से कोई लेना देना नहीं है। उसका काम सिर्फ मजहब के नाम पर लोगों को बांटना और भय को मुद्दा बनाकर नफरत पैदा करना है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्ष 1925 से ही डर और घृणा की राजनीति कर रहा है।