वर्ष 2008, आपदा प्रबंधन संस्थान भोपाल में विभागीय कोर्स के दौरान व्याख्याता द्वारा जापान से संबंधित सुनामी के दौरान की एक घटना बताई गई थी। जब जापान में सुनामी आई तो चारों ओर सब कुछ छिन्न-भिन्न हो गया सड़कें बह गई बिजली के पोल व लाइनें टूट गई। संचार के साधन ध्वस्त हो गए जन व संपत्ति की हानि का अनुमान लगाना भी कठिन व असंभव सा लग रहा था। ऐसा भयावह मंजर और कठिन समय किसी देश पर एक बड़ी विपत्ति लेकर आता है, लेकिन इस घटना के लगभग 2 वर्ष बीत जाने के पश्चात जापान पुनः अपने पूर्व स्थिति में आ गया और पूर्व की भांति सुंदर, सुसज्जित, संचार संपन्न, (सड़क व बिजली व्यवस्थित) होकर कार्य करने लगा।
इतने कम समय में ऐसा चमत्कार कैसे हुआ क्या वहां की सरकार और प्रशासन इतना चुस्त-दुरुस्त है? क्या वहां, किसी दैवी शक्ति ने काम किया? क्या, कैसे, किसने संभव किया? तो इन सभी प्रश्नों का उत्तर है वहां की जनमानस की नैतिकता व सकारात्मक सोच। जब सुनामी का कहर ठंडा पड़ा तो जो लोग जीवित बचे थे, उन्होंने सरकार के आने, सड़क, बिजली, पानी, खाना, आदि देने का इंतजार नहीं किया, और ना ही धरने-प्रदर्शन, आरोप-प्रत्यारोप, ना हितैषी होने का दिखावा किया, और ना ही, प्रशासन तंत्र की अकर्मण्यता का रोना रोया। वहां पर जीवित बचे लोगों ने (कर्म वीरों की तरह), मलबे में दबे लोगों की तत्काल संभव मदद की, उन्हें वहां से निकाला व प्राथमिक उपचार दिया, सड़कें ठीक की ताकि शासकीय सहायता उन तक पहुंच सके। जब कुछ दिनों में, शासकीय सहायता उन तक पहुंची तो उन्होंने उसका समान और उचित वितरण हो, ऐसी हर संभव मदद की। शासकीय सहायता पहुंचाने वाले भी कर्मवीर जी जान से इसी कोशिश में लगे रहे कि जल्द से जल्द और अधिक से अधिक, जरूरतमंदों तक समान रूप से सहायता पहुंचाई जा सके।
और अपनी इसी सकारात्मक मानसिकता और उच्च नैतिकता के कारण ही यह देश दुनिया का सबसे नैतिक व मेहनती इंसानों का देश कहलाता है।
परंतु वर्तमान में हमारे देश में, अल्प संख्या में ऐसे समूह भी हैं, जो किसी आपदा के आने पर सबसे पहले सत्ता पक्ष को कोसना नकारात्मकता का वातावरण बनाना और सत्ता या प्रशासन ही मदद करें मुफ्त में सुविधा उपलब्ध कराएं ऐसी मानसिकता फैल जाती है। नैतिकता में उच्च स्तर ना होने से प्रशासनिक अमले के कुछ लोग भी अधिक तीव्र कार्य नहीं करते और जनमानस का एक तबका तो अकर्मण्य की भांति, दूसरों से मदद की अपेक्षा में ही डूबा रहता है। कुछ बनावटी “मददगार” मीडिया में हाईलाइट होने के लिए “थोड़ा बहुत दिखावे की सहायता” करके उसका प्रचार व महिमामंडन अधिक करते नजर आते हैं।
नकारात्मक मानसिकता वाले लोगों के कारण ही, हमारे देश की उच्च स्तर की नैतिकता को, कम करके आंका जाता है, अतः हमें सामूहिक रूप से मिलकर, नैतिकता के उच्च मापदंड रखने चाहिए और इनका प्रसार करना चाहिए। बचपन से ही राष्ट्र निर्माण और नैतिकता के ऊंचे मापदंडों को ध्यान में रखकर ही ऐसी शिक्षा देनी चाहिए जो कि भविष्य में भी हमारे समाज और देश को विश्व पटल पर एक उच्च नैतिकता व मेहनती लोगों के देश के रूप में पहचाना जाता रहें। नकारात्मक चीजें अधिक तीव्रता से फैलती हैं अतः हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हम अपनी सकारात्मक बातें सकारात्मक नैतिक मूल्य और मेहनती छवि का अधिक से अधिक प्रसार करें।
संजय सिंह चौहान
उप निरीक्षक,इंदौर
मध्य प्रदेश।