ये कैसा राहगीर

आंखों के रास्ते आया,और दिल में उतर गया।

ये कैसा राहगीर आया,जो दिल में ही भटक गया।

बिन कहे नैनो में रह गया,हर बात ये दिल कह गया।

और दिल बेचारा हमारा,तो बस सकते में रह गया।

बनकर मुसाफिर आया,और दिल में ही रह गया।

अपने दिल की धड़कने,मेरे दिल में दे गया।

ऐसी ली तूने पनाह,तुझ बिन न भाए जहां।

ना समझ आए,तूने मेरे नैनो से क्या कहा।

करती ये मेरी जिंदगी,बस तेरी ही अब बंदगी।

ना दिखे जो एक पल,दिल में मचे कैसी हलचल।

ऐसी तुझमें रमी,तुझ बिन आंखों में दिखती नमी।

रंगीनियां भी फीकी,तुझ बिन कैसे जीती।

तुझ बिन वो बाती,याद दीप की पल पल सताती।

लहरे भी आती जाती,यादें तेरी नैना भर लाती।

जन्नतों में भी नही सुकून,तु ही करार और जुनून।

वीनस जैन

शाहजहांपुर 

उत्तर प्रदेश