गुलशन अगर बचाना माली को बदलें
गुलशन अगर बचाना माली को बदलें।
अवसर हाथ न आना माली को बदलें।
पत्ता-पत्ता झुलस रहा है सोचो तो।
आपस में ही उलझ रहा है सोचो तो।
इक गुलदान सजाना माली को बदलें।
गुलशन अगर बचाना माली को बदलें।
फूलों की सरगोशी गूंगी हो गई है।
ख़शबूओं की प्रतिष्ठिता भी खो गई है।
मसले को सुलझाना माली को बदलें।
गुलशन अगर बचाना माली को बदलें।
अम्बर बेल को दीमक खाता जाए है।
चार चुफेरे बर्बादी ही साए है।
जड़ से ज़हर उठाना माली को बदलें।
गुलशन अगर बचाना माली को बदलें।
अंकुर के सिंदूर में कालिख छा गई है।
रूत्त चंदरी भी कितनी अनिष्ट आ गई है।
शिष्टाचार जगाना माली को बदलें।
गुलशन अगर बचाना माली को बदलें।
कलियों की अठखेली में भी खंजर है।
भंवरे-तितली की चाहत का मन्दर है।
नव संवाद रचाना माली को बदलें।
गुलशन अगर बचाना माली को बदलें।
ध्रती भीतर विष जहरीले घोल दिए।
रंग सिंदूरी संदली किरमिच रोल दिए।
हरियाली को लाना माली को बदलें।
गुलशन अगर बचाना माली को बदलें।
गलत नीति ने पानी नीचे कर डाला।
भौतिक दैहिक सुख जीवन में भर डाला।
यह कन्नी कतराना माली को बदलें।
गुलशन अगर बचाना माली को बदलें।
भूमण्डली करण में सभ्याचार गए।
अपनी बोली के अध्ययन व्यवहार गए।
बौद्ध्किता ने गाना माली को बदलें।
गुलशन अगर बचाना माली को बदलें।
घोंसलों भीतर सांप खड़प्पे रहते हैं।
पक्षी अपना दुख-सुख किस को कहते हैं?
एक सपेरा आना माली को बदलें।
गुलशन अगर बचाना माली को बदलें।
कानून न्याय के कंठ में अंगूठा है।
प्रशासन का ताना-बाना झूठा है।
बुनकर नया ले आना माली को बदलें।
गुलशन अगर बचाना माली को बदलें।
सुखऱ् शगूफें की जगह कांटे राज करें।
बेअदबी में गुलचीनी ही काज करें।
मौसम को बदलाना माली को बदलें।
गुलशन अगर बचाना माली को बदलें।
‘बालम’ पूर्णता के बीच अध्ूरापन।
मेघ भरा हुआ है मगर नहीं रिमझिम।
जीवन्तता को लाना माली को बदलें।
गुलशन अगर बचाना माली को बदलें।
बलविन्दर ‘बालम’
ओंकार नगर, गुरदासपुर ;पंजाबद्ध मोः 98156-25409