= दक्षिणा की दरकार =

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वादे पर वादे  किए, नही  ली  इधर  सुध।

नफरत ही बांटी है,सबको कह  कर दूध।।

साड़ी   कंबल  बांट,  चुनाव   जीते   यार।

काम करवाओ  तो, दक्षिणा की दरकार।।

गरीब घर भोजन कर,  बने परम हितैषी।

फोटो  पेपर   में  छपा,नेता  पाए  कुर्सी।।

छोड़   ईमान   को,  पूजा   रहे   बईमान।

नालायक लायक  हुए, पा  रहे सम्मान।।

झूठी   हसी   ओढ़, पूछे   सबके   हाल।

चुनाव हमें जिताओ, उड़ती रहें गुलाल।।

शाम पड़े सब हुए, फार्म हाऊस आबाद।

शराब साकी साथ,सुनते अब फरियाद।।

क्या मिली लाल बत्ती,फूले नहीं समाय।

कोन अपना पराया चम्मच ही बतलाय।।

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कवि मनोहर सिंह चौहान मधुकर

जावरा जिला रतलाम मध्य प्रदेश