लता के 32 भाषाओं में गाए गीतों का इंदौर में है संग्रहालय

भोपाल । स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को समर्पित एक ऐसा संग्रहालय इंदौर शहर में है, जहां उनके साढ़े 7 हजार गीतों का संकलन है। यह संग्रहालय पिगडंबर में सुमन चौरसिया ने बनाया है जिसे उन्होंने ‘लता दीनानाथ मंगेशकर ग्रामोफोन रिकार्ड संग्रहालय’ नाम दिया है। इस संग्रह में लता द्वारा 32 भाषाओं में गाए सभी गीत शामिल हैं।1970 से लता मंगेशकर के गीतों का संग्रह कर रहे सुमन बताते हैं कि उनके पास एक ऐसा गीत भी है जो खुद लता के पास भी नहीं था। यह गीत गौतम बुद्ध नाटक का है जो उनके जीवन का पहला गीत था। 4 मिनट के इस गीत का रिकार्ड उन्हें अहमदाबाद से मिला था। कुछ गीतों के रिकार्ड तो खुद लता ने उन्हें दिए और करीब 200 गीत इनके पास ऐसे हैं जिनके रिकार्ड लता के पास भी नहीं थे और इन्होंने अपने संग्रह से वे गीत रिकार्ड कर लता को दिए थे। मालूम हो कि स्वर साम्राज्ञी का शहर से गहरा नाता रहा। शहर में उनका बचपन किस घर में बीता, शहर को लेकर वे कब क्या बोली, शहर की यादों को उन्होंने किस तरह सहेज कर रखा यह सब बेशक किसी को पता नहीं हो लेकिन उनकी आवाज और गायकी का ही यह जादू है कि शहर के लोगों ने उन्हें अपने दिल, घर यहां तक की मंदिर में भी स्थान दिया। रविवार की सुबह जैसे ही लता मंगेशकर के निधन की सूचना मिली उनके प्रशंसकों की अंखें नम हो गई। शहर में ऐसे कई लोग हैं जिनकी स्मृतियों में लता मंगेशकर से जुड़ी कई बातें हैं। गायिका वर्षा झालानी के लिए लता मंगेशकर के प्रति श्रद्धा का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने घर में ही लता मंगेशकर का मंदिर बना रखा है। वर्षों से वे यहं लता मंगेशकर की तस्वीर रखकर पूजा करती आ रही हैं। वे बताती हैं कि लता भी उन्हें अपनी बेटी समान मानती थी और जब भी मुलाकात होती थी वे मुझे भेंट दिया करती थी। उनके द्वारा वसंत पंचमी पर दी गई देवी सरस्वती की मूर्ति और मेरे जन्म दिन पर अपने पोस्टर पर लिखा शुभकामना संदेश जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धी है। संस्कृतिकर्मी संजय पटेल बताते हैं कि 1968 में लता मंगेशकर राजेंद्र नगर में भी आईं थी। तब वे ख्यात कथकगुरु प्रताप पवार के घर भी गईं थी और पूरा दिन उन्होंने उनके परिवार के साथ बिताया था। जब वे वहां आई थी तब प्रताप पवार दिल्ली में रहते थे और हमारा परिवार उनके परिवार की देखभाल करता था। जिस दिन वे वहां आईं थी उस दिन प्रताप पंवार के साथ उनकी पत्नी विष्णुप्रिया और बेटी आसावरी भी थे। शहर में हेमराज प्रजापति अकेला ने भी लता मंगेशकर से जुड़ी बातों के दस्तावेजों को संकलित कर रखा हैसंगीत क्षेत्र से जुड़े अभिषेक गावड़े बताते हैं कि 2005 में जब लताजी इंदौर आई थी। होटल की लॉबी में जब मैंने उन्हें अपना परिचय देते हुए कहा कि मैं सुरेश गावड़े का भतीजा हूं तो उन्होंने पूछा कि गावड़े साहब कैसे हैं और फिर उन्होंने मुझे कमरे में बिठाकर करीब आधा घंटे पिपलिया पाला, राजवाड़ा, सराफा के बारे में चर्चा की। सादगी से रहने वाली लता की बातों मे भी वही सादगी थी। वे तमाम पुरानी बातों, रिश्तों और इंदौर को जानने के लिए उत्सुक थीं।