हल्दी की रस्म के साथ कुशीनगर में मौत का छाया मातम

कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में बुधवार की देर रात एक गांव मातम में बदल गया। शादी के चहल पहल वाले गांव में एैसा मातम पसरा की हर तरफ चीख-पुकार ही थी। नौरंगिया गांव में शादी के कार्यक्रम के दौरान हुए हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई। यह घटना उस समय घटी जब हल्दी की रस्म के दौरान कुएं का स्लैब टूट गया और 25 से अधिक महिलाएं, युवतियां व बच्चे भरभराकर कुएं में गिर गए। अचानक हुयी इस घटना के बाद गांव में मातम छा गया।

जानकारी के अनुसार कुशीनगर के नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के नौरंगिया गांव के स्कूल टोला निवासी परमेश्वर कुशवाहा के बेटे अमित कुशवाहा के विवाह से पहले बुधवार देर रात हल्दी की रस्म अदा की जा रही थी। कि घर से करीब 100 मीटर दूर स्थित कुएं के सामने मटकोड़ (विवाह के पहले की रस्म) का कार्यक्रम चल रहा था। जिस कुएं के पास कार्यक्रम चल रहा था, उसे आरसीसी स्लैब बनाकर बंद किया गया था। पूजा के दौरान महिलाएं स्लैब पर चढ़ गईं। एक साथ महिलाएं स्लैब पर चढ़ीं तो जर्जर स्लैब अचानक टूट गया। इससे उस पर खड़ी महिलाएं और बच्चियां कुएं में गिर गईं और डूबने लगीं। जब घटना हुई तब वहां ज्यादातर महिलाएं थीं। अंधेरा भी था। ऐसे में चीख-पुकार मच गई। गांव के पुरुष जब तक दौड़कर पहुंचे। तब तक काफी देर हो चुकी थी। कई महिलाएं डूब चुकी थीं। कुआं काफी गहरा था, और उसमें 10 फीट में पानी भरा था। यही कारण है कि मृतकों की संख्या 13 तक पहुंच गई।

इस घटना के बाद शादी वाले घर में चीख-पुकार मच गई। सूचना पर पहुची पुलिस ने आसपास के लोगों के साथ मिलकर सबको कुएं से निकाला। हालात ऐसे थे कि गांव से जिला अस्पताल तक हाहाकार मचा रहा। घटना को लेकर कमिश्नर, डीआईजी, डीएम, एसपी ने मौके पर पहुंचकर राहत-बचाव कार्य की जानकारी ली। साथ ही पीड़ित परिवार को हर संभव मदद दिलाने का भरोसा दिलाया है।

अंधेरे से रेस्क्यू में आई दिक्कत
रात को अंधेरा होने के कारण भी रेस्क्यू समय से नहीं हो पाया। ग्रामीणों ने मोबाइल और गाड़ियों की हेडलाइट से अपने स्तर पर रेस्क्यू करने का प्रयास किया। इसके बाद पुलिस और प्रशासन पहुंचा। फिर गोताखोरों को बुलाया गया। देर रात तक गोताखोरों ने कुएं को सर्च किया। पुलिस ने बताया कि सभी घायलों को कुएं से निकालकर अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने 13 लोगों को मृत घोषित कर दिया। सभी की मौत डूबने से होने की आशंका जताई जा रही है। हादसे में मृत बच्चियों की उम्र 5 से 15 साल के बीच है।

प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ
पूजा करने गई महिलाओं ने बताया कि क्या हुआ किसी को कुछ समझ ही नहीं आया। पूजा के दौरान अचानक तेज आवाज आई और बच्चियां और महिलाएं गिरने लगी। बच्चियों ने एक-दूसरे को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन अंधेरा होने के कारण किसी को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। हादसे के बाद 15-20 मिनट तक तो सिर्फ चीखें थीं। सब डर गए थे। जब ग्रामीण आए तो फिर रेस्क्यू शुरू हुआ। अंधेरा न होता तो शायद इतनी मौतें नहीं होती।