यूक्रेन में फंसे हुए 600 भारतीय छात्रों को लेकर चिंताएं

नई दिल्ली । भारत ने सूमी में फंसे छात्रों के न निकल पाने को लेकर संयुक्त राष्ट्र में चिंता व्यक्त की है. रूस ने एक बार फिर उन छात्रों को निकालने के लिए युद्ध विराम लागू करने और एक गलियारा बनाने का आश्वासन दिया है।सूमी यूक्रेन के पूर्वोत्तर का शहर है जहां कम से कम 600 भारतीय छात्र अभी भी फंसे हुए हैं। कुछ मीडिया रिपोर्टों में फंसे हुए छात्रों की संख्या को 800 बताया जा रहा है। रूस की सीमा से सिर्फ 50 किलोमीटर दूर स्थित इस शहर में भी रूस के हमले के बाद से लगातार गोलीबारी और बमबारी हो रही है। वहां फंसे छात्रों को निकालने के सरकार के सभी प्रयास अभी तक असफल रहे हैं। शनिवार पांच मार्च को तो छात्र इतने हताश हो गए थे कि उन्होंने रूस की सीमा तक युद्ध क्षेत्र के बीच से पैदल जाने का फैसला ले लिया था। क्या वाकई बुरा है भारतीय छात्रों का पढ़ने विदेश जाना? लेकिन फिर भारत सरकार ने उनसे तुरंत संपर्क किया और उन्हें ऐसा न करने के लिए कहा। सरकार ने छात्रों को वहां से निकालने के लिए बसें भेजने का वादा किया सूमी समेत चार शहरों में युद्ध विराम की घोषणा के बाद ही बसें वहां पहुंची भीं। मानवीय गलियारा क्या है और कैसे काम करता है छात्र बसों में चढ़ चुके थे और बसें बस निकलने ही वाली थीं लेकिन तभी खबर मिली कि उनके प्रस्तावित रास्ते में ही कहीं पर युद्ध विराम का उल्लंघन हुआ है। एक घंटा इंतजार करने के बाद अभियान रद्द कर दिया गया और छात्रों को वापस हॉस्टल भेजने का आदेश दे दिया गया। भारत ने ही इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाया और चिंता जाहिर की। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, “हम बेहद चिंतित हैं कि दोनों पक्षों से बार बार अपील करने के बावजूद सूमी में फंसे हमारे छात्रों के लिए सुरक्षित गलियारा बन नहीं पाया” युद्ध विराम की असफलता के लिए रूस और यूक्रेन दोनों एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं और सोमवार को भी संयुक्त राष्ट्र में दोनों देशों ने इन्हीं आरोपों को दोहराया। रूस ने एक बार फिर घोषणा की है कि आठ मार्च को सूमी और कुछ और शहरों में रूस की तरफ से युद्ध विराम होगा और लोगों के निकलने के लिए सुरक्षित गलियारे बनाए जाएंगे। देखना होगा कि इस बार भारतीय छात्र निकल पाते हैं या नहीं।