बेकद्र तुम कद्र ना हमारी कर पाए

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मेरी मोहब्बत कि कद्र , बेकद्र तुम न कर पाए

बता हम ही तुझे किताना चाहे।।

तेरे कदमों में आए हर कांटे को हम ही हटाए

रज़ हटा तेरी राह से फूल बिछाए।।

तेरी एक आह पर वारी-वारी हर बार हम जाएं

फिर भी तू हमें नज़र अंदाज़ कर घायल कर जाए।।

बेकद्र तुम कद्र ना हमारी कर पाए।।२।।

तेरी एक मुस्कुराहट के लिए हर रुप में आए

देख तेरे ही चेहरे की मुस्कान हम सुकून पाए

कहने लगा जमाना हमको दीवानी हो तुम

हम तेरी दीवानी कहला अपना सौभाग्य बढ़ाए।।

बेकद्र तुम कद्र ना हमारी कर पाए।।२।।

आज भी तड़प तेरे दीदार की मेरी आंखों में समाए

आज भी तेरी एक आवाज़ सुनने को कान तरस जाए

आज भी तू सिर्फ तू ही जिंदगानी रूह में मेरे समाए

बता किस तरह अपनी मोहब्बत तुझे एहसास कराएं।।

 बेकद्र तुम कद्र ना हमारी कर पाए।।२।।

सोचा हम भी राह अपनी अब मोड़ जाएं

दिल तेरा भी टूटे कभी यही दुआ छोड़ जाएं

दिल ना माना मेरा हम मतलबी ना कहलाए

रूह से मोहब्बत की , करेंगे , अब अलविदा चाहें।।

 बेकद्र तुम कद्र ना हमारी कर पाए।।२।।

वीना आडवाणी तन्वी

नागपुर, महाराष्ट्र