नेताजी ने देश की आज़ादी के लिए हजारों किलोमीटर की यात्रा उसे हम कभी नहीं भुला सकते: गृहमंत्री शाह

नई दिल्ली । केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह यूनेस्‍को द्वारा दुर्गा पूजा को अमूल्‍य अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में सम्मिलित किए जाने के उपलक्ष्य में संस्कृति मंत्रालय द्वारा आज कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में आयोजित मुक्ति-मातृका कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। समारोह में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और गृह राज्य मंत्री निशिथ प्रमाणिक सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। मुक्ति-मातृका कार्यक्रम में प्रख्यात ओडिसी नृत्यांगना डोना गांगुली और उनकी मंडली ‘दीक्षा मंजरी’ द्वारा एक नृत्य प्रस्‍तुत किया गया। साथ ही प्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी, सुरेन्‍द्र-सौम्यजीत ने गायन पेश किया।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि पूरा देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और इसी महोत्सव के अंतर्गत आज यहाँ ये दोनों कार्यक्रम आयोजित किए गए। पूरे देश की बंगाल की दुर्गा पूजा के प्रति अपार श्रद्धा है, दिसंबर 2021 में दुर्गा पूजा को यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप शामिल किया है और यह न केवल बंगाल बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का विषय है। आज डोना गांगुली और उनकी मंडली ने यहाँ जो प्रस्तुति की उसमें दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों को अपनी भाव भंगिमाओं से हमारे सामने रखने का बहुत सुंदर प्रयास किया है। अमित शाह ने कहा कि हमारा देश सदियों से एक सांस्कृतिक नदी के रूप में बहता रहा है, हजारों साल से हमारी संस्कृति इटरनल है, इसे कभी भी कोई नही मिटा सकता, इसका संदेश विश्व के लिए है और पूरा विश्व इसका सम्मान करता है। आज जब लोग स्त्री सशक्तिकरण की बात करते हैं तो उनको शायद मालूम नहीं है कि हमारे पुराणों और उपनिषदों में अंदर लिखा गया कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवताओं का वास होता है और वहीं सुख व समृद्धि होती है। उन्होने कहा कि नारी सशक्तिकरण का जो विचार है वह हजारों साल बलवत्तर होकर फिर से एक बार पश्चिम से यहां पर आया है। श्री शाह ने कहा कि दुर्गा पूजा नारी की पूजा, शक्ति की पूजा और उसके प्रति श्रद्धा व समाज के सम्मान की द्योतक है। इसलिए कोई भी संस्कृति हो, कोई भी मत हो,भारत में सभी ने शक्ति की पूजा के महत्व को बहुत अच्छे तरीके से स्वीकार किया है और आज मुझे इस बात का आनंद है कि दुर्गा पूजा के शामिल होने से भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की संख्या 14 हो गई है। 2017 में कुंभ मेले, 2016 में नवरोज, 2015 में योग और अब दुर्गा पूजा को इसमें सम्मिलित किया गया है।