लंदन । कोरोना वायरस के बीच मंकीपॉक्स नामक बीमारी ने विश्व के डॉक्टरों की चिंताएं बढ़ा दी है। यूनाइटेड किंगडम, पुर्तगाल और स्पेन में मंकीपॉक्स के कुछ मामले सामने आए हैं व कुछ संदिग्ध हैं। इस बीमारी के फैलने का खतरा अब तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि मंकीपॉक्स के मामले ज्यादातर पश्चिमी और मध्य अफ्रीका में मिलते हैं लेकिन अब कहीं भी इस बीमारी के मामले सामने आ रहे हैं। यह बीमारी मंकीपॉक्स नाम के वायरस से फैलती है। इसका संक्रमण इंसानों में होने वाले चेचक से कुछ हद तक मिलता-जुलता है। मंकीपॉक्स की खोज साल 1958 में बंदरों के एक समूह से की गई थी, इसके चलते इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया। हालांकि आमतौर पर मंकीपॉक्स हल्का होता है।
मंकीपॉक्स के दो तरह के वैरिएंट हैं। पहला कांगो स्ट्रेन, जो बेहद गंभीर है। हालांकि इसमें मृत्यु दर 10 फीसदी है। वहीं दूसरा पश्चिमी अफ्रीका स्ट्रेन, जिसमें मृत्यु दर एक फीसदी है। हाल ही में ब्रिटेन में सामने आए मंकीपॉक्स के मामले पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन हैं। मंकीपॉक्स खासतौर पर चूहों और बंदरों के जरिये इंसानों के बीच फैलती है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति से संपर्क में आने से भी फैल सकती है। ये वायरस फटी हुई त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रेक्ट, आंख, नाक या मुंह के जरिये शरीर में पहुंच सकता है।
हालांकि इस बार के मामले ट्रांसमिशन विशेषज्ञों को हैरान कर रहे हैं। क्योंकि यूनाइटेड किंगडम में कई मामलों में एक मरीज से दूसरे मरीज का कोई संबंध नहीं है। केवल 6 मई को रिपोर्ट किए गए पहले मामले में संक्रमित हाल ही में नाइजीरिया से लौटा था। वहीं विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर मंकीपॉक्स के मामले दर्ज नहीं किये गए तो यह वायरस व्यापक तौर पर फैल सकता है। यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने गे और बाईसेक्सुअल लोगों को भी अलर्ट रहने को कहा है। यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी के मुताबिक संक्रमित मरीजों में बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, थकान और कंपकंपी जैसे लक्षण नजर आते हैं। मरीजों के चेहरों पर दाने नजर आने लगते हैं, जो धीरे-धीरे शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलते हैं। संक्रमण का असर कम होने पर यह सूखकर स्किन से अलग हो जाते हैं।
मंकीपॉक्स के तेजी से फैलने का कारण यह भी माना जा रहा है कि कोरोना गाइडलाइन हटने के बाद लोग लापरवाही में घूम रहे हैं। वहीं कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी में यूसीएलए में महामारी विज्ञान के प्रोफेसर ऐनी रिमोइन के मुताबिक वर्ष 1980 में चेचक के लिए शुरू किये गए टीकाकरण को बंद करना मंकीपॉक्स के फैलने का मुख्य कारण है। क्योंकि यह वैक्सीन चेचक के साथ-साथ मंकीपॉक्स से भी लोगों को बचाता था।