हिंदू पक्ष ने दिया राम मंदिर का हवाला, कहा- प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट कुतुबमीनार पर लागू नहीं होता

नई दिल्ली । दिल्ली स्थित कुतुब मीनार परिसर में हिन्दू देवताओं की पुर्नस्थापना और पूजा अर्चना का अधिकार मांगे जाने वाली याचिका पर साकेत कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान हिंदू पक्ष की ओर से कोर्ट में पेश हुए हरिशंकर जैन ने अयोध्या के राम मंदिर मसले का जिक्र कर कुतुब मीनार में पूजा की इजाजत मांगी। हरिशंकर जैन ने कहा कि मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया था।
मस्जिद का निर्माण इस्लाम की ताकत दिखाने के लिए किया गया था। जैन ने कहा कुतुब मीनार का इस्तेमाल नमाज अदा करने के लिए मुसलमान कभी नहीं करते। दरअसल, कोर्ट में दलील रखने के दौरान हरिशंकर जैन ने उस अधिसूचना का भी जिक्र किया, जिसके तहत कुतुब मीनार परिसर को स्मारक के रूप में अधिसूचित किया गया था। जैन ने कहा यहां 3 अपील हैं, जिसे मजिस्ट्रेट कोर्ट ने खारिज किया था। हमारे पास पुख्ता सबूत हैं कि 27 मंदिर को तोड़ कर यहां कुतुब मीनार बनाई गई है।
उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम ने कभी यहां नमाज नहीं पढ़ी। इसके बाद जज ने पूछा कि आप किस कानूनी अधिकार के तहत पूजा का अधिकार मांग रहे हैं? इस पर जैन ने मोन्यूमेंट एक्ट हवाला दिया और कहा कि हम कोई निर्माण नहीं चाहते हैं, बस यहां पूजा का अधिकार चाहते हैं। इस पर जज ने कहा कि आप इसे किस आधार पर बहाल करने का दवा कर रहे हैं। इस पर हरिशंकर ने कहा कि मोन्यूमेंट एक्ट के चरित्र के मुताबिक वहां पूजा होनी चाहिए। जैन ने अयोध्या स्थित राम मंदिर के केस का भी हवाला दिया।
हरिशंकर जैन ने कहा एक बार देवता की संपत्ति, हमेशा एक देवता की संपत्ति होती हैं। देवता की दिव्यता कभी मिटती नहीं। एक बार मंदिर हमेशा एक मंदिर होता है, देवता का अधिकार और उनकी दिव्यता हमेशा के लिए रहती है। अगर मूर्ति तोड़ भी दी जाए या हटा दी जाए तो भी वहां मंदिर माना जाता है। अभी भी परिसर में अलग-अलग देवी देवताओं की मूर्तियां है। साथ ही एक लौह स्तंभ है, जो 1600 साल पुरानी है। वहां लोह स्तम्भ पर संस्कृत के श्लोक भी लिखें हैं। इन दलीलों को रखने के बाद जैन ने कहा कि हमें पूजा की इजाजत दी जाए।
इसके बाद जज ने कहा कि अगर देवता पिछले 800 वर्षों से बिना पूजा के वहा पर हैं, तो रहने दें। इसके बाद जैन ने कहा कि मूर्ति का अस्तित्व वहां विद्यमान हैं। मूर्ति तो है लेकिन असली सवाल पूजा के अधिकार का है। सवाल यह है कि क्या अपीलकर्ता के मौलिक अधिकारों से इनकार किया जा सकता हैं। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत मेरे संवैधानिक अधिकार का हनन हो रहा है। पूजा का अधिकार हमारा मौलिक अधिकार है। इस पर अदालत ने पूछा कि क्या ऐसा कोई कानून है जो कहता है कि पूजा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है? कोर्ट ने कहा कि मूर्तियां तो वहां हमेशा से हैं। एएसआई ने साफ कर दिया कि उन्हें नहीं हटाया जाएगा। आप बस साफ करें कि पूजा अर्चना के अधिकार का क्या क़ानूनी आधार है। इसके बाद हरिशंकर जैन ने आर्टिकल 25 का हवाला दिया और कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है। अयोध्या मामले में दिए फैसले में साफ है कि देवता की उपस्थिति हमेशा विधमान मानी जाती है, अगर ऐसा है तो उनके पूजा अर्चना का अधिकार भी हमेशा के लिए सुरक्षित है।