इन्दौर । भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, सोयाबीन अनुसंधान एवं विकास सोसायटी, सोलिडारिडाड, भोपाल और सोपा इन्दौर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किये जा रहे “सोया महाकुम्भ” का देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इन्दौर के ऑडिटोरियम में आज उदघाटन हुआ। उदघाटन समारोह में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, कृषि मंत्री कमल पटेल, सचिव डेयर और महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली डॉ. त्रिलोचन महापात्रा, सांसद शंकर लालवानी, भाकृअनुप-आईआईएसआर निदेशक डॉ. नीता खांडेकर और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में पहले दिन सोयाबीन उत्पादक, वैज्ञानिक, विकास विभागों के अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 2500 लोगों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने देश की अर्थव्यवस्था में विशेष रूप से महामारी की स्थिति में कृषक समुदाय की कड़ी मेहनत और योगदान की सराहना की है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कृषि के बजटीय आवंटन को बढ़ाकर 1,32,000 करोड़ कर दिया है जो 2014 के बाद से रिकॉर्ड वृद्धि है। इसमें से 65,000 करोड़ रुपये किसान सम्मान निधि योजना के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ के रूप में दिए जाते हैं, जिससे लगभग 50 लाख करोड़ किसानों को लाभ होता है। उन्होंने आगे बताया कि केंद्र सरकार विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से किसान की आय को दोगुना करने के लिए प्रतिबद्ध है।
कृषि मंत्री कमल पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि मध्यप्रदेश के किसानों के लिए राज्य सरकार ने किसान केंद्रित नीतियां बनाई हैं। उन्होंने कहा कि एमएसपी के माध्यम से खरीद की अधिकतम सीमा को हटा दिया गया है, जिससे राज्य के किसानों को लाभ हुआ है। उन्होंने फसल बीमा योजना पर प्रकाश डाला, जिससे पिछले दो वर्षों के दौरान मध्य प्रदेश के किसानों को 17,000 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है।
इस अवसर पर सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि भारत सरकार ने उर्वरकों की कीमतों में वृद्धि नहीं होने दी। विशेष रूप से यूरिया, जो पौधों की वृद्धि के लिए एक प्रमुख तत्व है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़, छोटे और सीमांत किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रारंभ में भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान की कार्यवाह निदेशक डॉ. नीता खांडेकर ने गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और विभिन्न विधाओं का उपयोग करते हुए अनुसंधान जनित तकनीकियों एवं नवीनतम पद्धतियों को किसानों तक ले जाने के लिए संस्थान द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ. महापात्रा ने कहा कि सोयाबीन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता पिछले कुछ दशकों से लगभग 1 टन प्रति हेक्टेयर है, जिसे बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिये, विस्तार कर्मियों, किसानों, इनपुट डीलरों और सहायक सेवाओं में शामिल अन्य लोगों के समन्वित प्रयास आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि सोयाबीन की नई किस्मों का गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन में वृद्धि से ही सोयाबीन की उत्पादकता 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।