Deprecated: Optional parameter $delete_original declared before required parameter $container is implicitly treated as a required parameter in /home2/kalikama/public_html/indoresamachar/wp-content/plugins/bluehost-wordpress-plugin/vendor/newfold-labs/wp-module-performance/includes/Images/ImageUploadListener.php on line 32

Warning: Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home2/kalikama/public_html/indoresamachar/wp-content/plugins/bluehost-wordpress-plugin/vendor/composer/ClassLoader.php:576) in /home2/kalikama/public_html/indoresamachar/wp-content/plugins/post-views-counter/includes/class-counter.php on line 904
कोरोना पीड़ितों में पार्किंसन बीमारी का खतरा ज्यादा – Indore Samachar

कोरोना पीड़ितों में पार्किंसन बीमारी का खतरा ज्यादा

वॉशिंगटन । कोरोना के लिए जिम्‍मेदार सोर्स-सीओवी-2 वायरस के कारण पार्किंसन बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। हाल में चूहों पर किए गए अध्‍ययन में खुलासा हुआ है। रिसर्चर्स के अनुसार, कोविड-19 के मरीज आमतार पर सिरदर्द और अनिद्रा जैसे लक्षणों को रिपोर्ट करते हैं, जो एक वायरल इनफेक्‍शन में कोई नई बात नहीं है। उन्‍होंने बताया कि 1918 की एनफ्लुएंजा महामारी के बाद रोगियों को नामक न्‍यूरोलॉजिकल बीमारी के विकसित होने में करीब एक दशक का समय लगा था।
स्‍टडी में पाया गया कि सोर्स-सीओवी-2 वायरस मस्तिष्‍क की संवेदनशीलता को एक इसतरह के विष के रूप में बढ़ा सकता है, जो पार्किंसन रोग में देखी गई तंत्रिका कोशिकाओं में मृत्‍यु का कारण बनता है। शोधकर्ता ने कहा, पार्किंसन एक दुर्लभ बीमारी है, जो 55 वर्ष से ऊपर की आबादी के दो प्रतिशत को प्रभावित करती है। बीमारी के जोखिम की आशंका बढ़ने से घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन कोविड किस तरह से हमारे मस्तिष्‍क पर असर डाल सकता है, इस जानना इस मायने में महत्‍वपूर्ण है कि हम इसी से इस बीमारी से निपटने की तैयारी कर लें।
स्‍टडी में कहा गया है कि कोरोना चूहों के मस्तिष्‍क के नर्व्‍स सेल को उन टॉक्सिन के प्रति संवेदनीशील बना देता है जिसे पार्किंसन की बीमारी के लिए जिम्‍मेदार माना जाता है और जिससे दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि 2009 की फ्लू महामारी के कारण एच1एन1 एनफ्लुएंजा स्‍ट्रेन के संपर्क में आने वाले चूहे एमपीटीपी के प्रति अधिक संवेदनशील थे। एमपीटीपी एक टॉक्सिन है, जो पार्किंसन के विशिष्‍ट लक्षणों का कारण बनता है। पार्किंसंस बीमारी दूसरा सबसे आम न्यूरोडिजेनरेटिव डिसऑर्डर है। यह एक ऐसी बीमारी है जो मनुष्य के उस हिस्से को प्रभावित करती है जो हमारे शरीर के अंगों को संचालित करता है। इसके लक्षण इतने कम होते हैं कि शुरुआत में आप इस पहचान भी नहीं सकते हैं।