झमाझम बारिश के लिए अभी करना होगा इंतजार

मानसून के 28–29 जून से आगे बढ़ने के आसार
भोपाल । मध्यप्रदेश में अलग–अलग स्थानों पर छह मौसम प्रणालियां सक्रिय हैं। इनके असर से कुछ नमी मिलने के कारण मप्र में कहीं–कहीं गरज–चमक के साथ बौछारें पड़ रही हैं। पूरे प्रदेश को झमाझम बारिश से भिगोने के लिए अभी दो-तीन दिन इंतजार करना होगा। आज इंदौर संभाग के जिलों में कहीं–कहीं तेज बौछारें पड़ने की संभावना है। मानसून के 28–29 जून से आगे बढ़ने के आसार हैं। मौसम विभाग के अनुसार, अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी में किसी प्रभावी मौसम प्रणाली के सक्रिय नहीं रहने से 21 जून से ही मध्यप्रदेश में ठिठका हुआ मानसून अगले दो दिनों में आगे बढ़ सकता है। रविवार को भी दक्षिण–पश्चिम मानसून की उत्तरी सीमा पोरबंदर, बड़ौदा, शिवपुरी, रीवा और चुर्क से गुजर रही है। उधर रविवार को सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक छिंदवाड़ा में 106, खंडवा में तीन, जबलपुर में 2.4, मलाजखंड में एक, गुना में 0.4 मिलीमीटर वर्षा हुई। पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला के अनुसार, पश्चिम राजस्थान पर हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात मौजूद है। इस चक्रवात से लेकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडीशा से बंगाल की खाड़ी तक एक द्रोणिका लाइन बनी हुई है। पूर्वी अरब सागर में हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। दक्षिणी गुजरात से उत्तरी केरल तक अपतटीय द्रोणिका लाइन बनी हुई है। दक्षिणी छत्तीसगढ़ पर भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। इस चक्रवात से लेकर गुजरात, कोंकण तक एक अन्य द्रोणिका लाइन मौजूद है। इन छह मौसम प्रणालियों के कारण वातावरण में कुछ नमी आ रही है। इस वजह से मप्र में कहीं–कहीं गरज–चमक के साथ वर्षा हो रही है। मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम विज्ञानी पीके साहा के अनुसार, 20 जून को मानसून ने मप्र के 80 प्रतिशत भाग में प्रवेश कर लिया है। उसके बाद ताकत नहीं मिलने के कारण मानसून आगे नहीं बढ़ा है। इससे वर्षा की गतिविधियों में भी कमी आ गई है। हालांकि मौजूदा नमी के कारण तापमान बढ़ने की स्थिति में कहीं–कहीं गरज–चमक के साथ स्थानीय बादलों से बौछारें पड़ रही हैं।साहा के मुताबिक सोमवार को इंदौर संभाग के जिलों में तेज बौछारें पड़ने की संभावना है। इसके अलावा इंदौर से सटे उज्जैन संभाग और पश्चिमी प्रदेश के कुछ हिस्सों में वर्षा होने का अनुमान है। मंगलवार से मानसून के आगे बढ़ने के भी आसार हैं। इस वजह से वर्षा की गतिविधियों में तेजी आने लगेगी।