केजरीवाल को मात नहीं दे पा रही बीजेपी

नई दिल्ली । राजेंद्र नगर विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल कर आम आदमी पार्टी ने राजधानी में अपना किला बचाए रखा। इस सीट पर तीसरी बार आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की है। उपचुनाव में हार ने भाजपा की चुनावी रणनीति पर सवाल खड़े किए हैं, तो कांग्रेस दिल्ली की सियासत में लगातार कमजोर हो रही है। राजेंद्र नगर उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की चुनावी रणनीति सफल रही। आप ने आक्रामक चुनाव प्रचार किया। पार्टी प्रत्याशी और मंत्रियों के साथ खुद पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने मोर्चा संभाला। मुख्यमंत्री ने राजेंद्रनगर में लगातार रोड शो किए। आप ने मुख्यमंत्री के चेहरे और दिल्ली में अपने काम के नाम पर वोट मांगा। यही नहीं, बूथ मैनेजमेंट में भी आप अन्य दलों पर भारी पड़ी। बूथस्तर पर आप कार्यकर्ताओं को लगाया गया। माइक्रो मैनेजमेंट के जरिए पार्टी अपने वोटरों को बूथ पर लेकर गई। भाजपा की रणनीति पर सवाल : उपचुनाव में हार से भाजपा की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं। भाजपा चुनाव के दौरान स्थानीय मुद्दों की जगह मुख्यमंत्री को घेरने के प्रयास में लगी रही, लेकिन यह सफल नहीं हुआ। राजेंद्र नगर उपचुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें, तो साफ है कि दिल्ली की सियासत में आप का दबदबा कायम है। आप प्रत्याशी को 55 फीसदी से ज्यादा वोट मिले। दिल्ली में भाजपा का मत प्रतिशत तीस से चालीस फीसदी के बीच घूमता है। भाजपा की उम्मीदें वोटों के बंटवारे पर टिकी थीं। लेकिन, कांग्रेस प्रत्याशी को करीब पौन तीन फीसदी मत मिलने से भाजपा को इसका बहुत लाभ नहीं हो पाया। राजेंद्रनगर उपचुनाव में कांग्रेस ने प्रेमलता पर दांव लगाया था, लेकिन उनकी जमानत जब्त हो गई। कांग्रेस प्रत्याशी को मात्र 2014 मत हासिल हुए। उपचुनाव के नतीजों से साफ है कि राजधानी के सियासी समीकरणों में कांग्रेस के लिए दिल्ली दूर है। वहीं, वोटों का बंटवारा नहीं होने से भाजपा के लिए भी मुश्किल बढ़ गई है। राघव चड्ढा के इस्तीफे के बाद खाली हुई सीट पर पंजाबी और स्थानीय का मुद्दा भी उठाने का प्रयास हुआ। भाजपा ने चुनाव में अपने प्रत्याशी राजेश भाटिया के स्थानीय होने को मुद्दा बनाया और आप प्रत्याशी को बाहरी बताया। यहां पंजाबी वोटर बड़ी संख्या में हैं। भाजपा को उम्मीद थी कि उन्हें बड़ी संख्या में पंजाबी वोटर मिलेंगे, लेकिन आप ने पंजाबी वोट भी हासिल किए।