अंकारा । यूक्रेन युद्ध के बीच रूस की घेराबंदी में जुटे अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो देशों को बड़ी सफलता मिली है। तुर्की ने फिनलैंड और स्वीडन को नाटो में शामिल किए जाने का विरोध करना बंद कर दिया है। इससे अब रूस के इन दोनों ही पड़ोसी देशों के नाटो में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है। फिनलैंड, स्वीडन और तुर्की तीनों ही इस बात पर सहमत हो गए हैं कि वे एक-दूसरे की सुरक्षा की रक्षा करेंगे। इसके साथ तुर्की की ओर से पिछले कई सप्ताह से चला आ रहा ड्रामा अब खत्म हो गया है।
फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होने से उत्तरी यूरोप में अब रूस की टेंशन बढ़ जाएगी। फिनलैंड, स्वीडन और तुर्की के बीच यह सहमति स्पेन के मैड्रिड शहर में होने जा रही शिखर बैठक से ठीक पहले बनी है। इस शिखर बैठक में नाटो के 30 सदस्य देश रूस के खिलाफ अपनी एकजुटता का प्रदर्शन करेंगे। तुर्की के जिद छोड़ने सम्मेलन में पैदा होने वाली शर्मनाक स्थिति से यह सैन्य संगठन बच गया है।
तुर्की के वीटो हटा लेने से अब फिनलैंड और स्वीडन दोनों ही नाटो में शामिल होने के आवेदन को आगे बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही अब दशकों बाद यूरोप की सुरक्षा में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। फिनलैंड और स्वीडन दोनों ही देश लंबे समय से न्यूट्रल थे, लेकिन यूक्रेन जंग के बीच अब इन्होंने अपना इरादा बदल दिया है और वे अब नाटो की सुरक्षा चाहते हैं।
नाटो महासचिव जेन स्टोल्टेनबर्ग और तुर्की के राष्ट्रपति कार्यालय ने इस समझौते की पुष्टि की है। यह सहमति तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन, स्वीडन की पीएम मागडालेना एंडर्सन और फिनलैंड के राष्ट्रपति सौली निनिस्तो के बीच बैठक के बाद बनी है। तीनों देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक स्वीडन तुर्की के प्रत्यर्पण के आवेदन पर काम तेज करेगा। साथ ही स्वीडन और फिनलैंड दोनों ही अपने कानून को संशोधित करेंगे ताकि तुर्की के लिए खतरा बने लोगों के प्रति कड़ा रवैया अपनाया जा सके। यही नहीं स्वीडन और फिनलैंड तुर्की को हथियार बेचने पर लगे अपने प्रतिबंधों को हटा लेंगे।
तुर्की ने आरोप लगाया था कि स्वीडन कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) को शरण दे रहा है। पीकेके ने तुर्की सरकार के खिलाफ सन 1984 में हथियार उठा लिया था। तुर्की ने दावा किया है कि फिनलैंड और स्वीडन पीकेके के खिलाफ पूरा सहयोग करेंगे। इस बीच जी7 के नेता जर्मनी में आयोजित शिखर सम्मेलन में पहुंचे। इस दौरान इन नेताओं ने यूक्रेन को वित्तीय, मानवीय, सैन्य और राजनयिक सहायता प्रदान करना जारी रखने और युद्धग्रस्त राष्ट्र के साथ तब तक खड़े रहने का वादा कियाश, जब तक कि वह रूस द्वारा लगातार हो रहे आक्रमण का सामना कर रहा है। सोमवार को जारी एक संयुक्त बयान में नेताओं ने कहा कि ‘जी-7 यूक्रेन के साथ एकजुटता से खड़ा है। सरकार और वहां के लोग देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा और लोकतांत्रिक भविष्य के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। इस लड़ाई में हम उनके साथ हैं।