नफरतों का चारों और अब बाजार गर्म है,
टी वी खोलो तो धर्मों के नाम व्यापार गर्म है,
परिचर्चा धर्म के नामों पर हर रोज़ कराई जाती है,
झूठ फरेब मक्कारी ये सब फैलाई जाती हैं,
दो इधर के दो उधर के यहांँ बैठाएं जाते हैं,
चारो फिर वो धर्मों के नाम पर लड़वाए जाते हैं,
असर पड़ता देश के सब समाजों पर ,
जो वहाँ बैठ दिखलाया फैलाया जाता है,
नेता देकर भड़काऊ भाषण किनारे हो जाते हैं,
रहने वालों साथ साथ को दुश्मन वो बनाते हैं,
चलती हैं तलवारें गोली इन्सान मारें जातें हैं,
नफरत फ़ैलाने वाले उनमें फिर नफ़रत फैलाते हैं,
नफरत फ़ैलाने वालों ना खाईं यहाँ बढ़ाओ तुम,
देश में मेरे अमन शांति का संदेश फैलाओ तुम,
टी वी वालों से भी कह दो वो भी अपना काम करें,
जहाँ कमी हो वहांँ देश की सरकारों से सवाल करें,
देश को आगे हम सबको मिल कर लेकर जाना हैं,
नफरतों का बीज हर दिल से यहाँ अब मिटाना हैं,
रामेश्वर दास भांन
करनाल हरियाणा