वरिष्ठ फिल्म निर्माता आनंद पंडित फिलहाल अपनी गुजराती और मराठी फिल्मों को पूरा करने में व्यस्त हैं। पंडित ने फिल्म उद्योग को बहुत करीब से जाना है और उसे कोवीड और ओटीटी चैनलों से उत्पन्न हुई चुनौतियों से जूझते हुए भी देखा है. लेकिन उनका कहना है की आज सिनेमा एक रचनात्मक विविधता के दौर से गुज़र रहा है जहाँ दर्शक भाषा और क्षेत्र की सीमाओं से परे, फिल्मों को सिर्फ उनकी श्रेष्ठता के आधार पर देख और पसंद कर रहे हैं.
वे कहते हैं, “हिंदी और क्षेत्रीय सिनेमा ने हमेशा ही से प्रतिभा और कहानियों का आदान-प्रदान किया है, लेकिन यह पहली बार है जब डब की गई फिल्मों ने पूरे देश में सफलता के नए आयाम कायम किये हैं। ‘आरआरआर’, ‘पुष्पा’, और ‘केजीएफ’ ने न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भारतीय सिनेमा को एक नयी पहचान दी है. डब किए गए, क्षेत्रीय ब्लॉकबस्टर फिल्म उद्योग को और भी विविध बना रहे हैं।”