‘बाल शिव‘ में दर्शकों को माँ दुर्गा के रौद्र रूप को देखने का मौका मिलेगा जोकि महिषासुर का वध करेंगी। महिषासुर के वध से कहानी में एक दिलचस्प मोड़ आएगा। जब महिषासुर सुमति का अपहरण करता है, तब बाल शिव (आन तिवारी) क्रोधित हो जाते हैं और उसे मारने का निर्णय करते हैं। हालांकि, बाल शिव महिषासुर को मार नहीं सकते, क्योंकि उसे ब्रह्म देव का वरदान मिला हुआ है। देवी कात्यायनी के रूप में जन्म लेने वालीं देवी पार्वती उसे मारने के लिये माँ दुर्गा बन जाती हैं। महिषासुर जब उसे पता चलता है कि देवी पार्वती ने उसे मारने के लिये जन्म लिया है, तब वह सुमति समेत सभी महिलाओं का अपहरण कर लेता है। भृंगी कात्यायन को बताते हैं कि भगवान शिव की पूजा किये बिना प्रसन्न नहीं रहा जा सकता, क्योंकि शिव और शक्ति एक ही हैं। इसलिये कात्यायन शिवलिंग की पूजा करने लगते हैं। जब बाल शिव सुमति को महिषासुर के बंधन से मुक्त कराते हैं, तब कात्यायनी अमरनाथ गुफा में जाती हैं और पार्वती बन जाती है। उन्हें वह दृश्य दिखते हैं, जब महादेव ने उन्हें अयोग्यता के कारण जन्म-जन्मांतर तक मिलन और बिछोह के बारे में बताया था। जब वह उन दृश्यों से बाहर आती हैं, उन्हें महिषासुर को मारने के लिये कात्यायन की आवाज सुनाई देती है और वह क्रोधित हो जाती हैं। वह शेर की सवारी करके विंध्याचल पर्वत पर पहुँचती हैं और महिषासुर को मारने की घोषणा करती हैं। उनके बीच भयंकर युद्ध होता है और आखिरकार देवी पार्वती उसे मार देती हैं।